जब भी डायबिटीज़ की बात होती है, सबसे पहले नाम आता है चीनी और मिठाई का। लेकिन क्या आप जानते हैं कि केवल मिठा खाना ही नहीं, बल्कि रोज़ाना खाई जाने वाली रोटी और चावल भी डायबिटीज़ का कारण बन सकते हैं?
दरअसल, सफेद चावल और मैदा या रिफाइंड आटे की रोटियाँ हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ हैं। यानी इन्हें खाने से शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर तेजी से बढ़ता है। बार-बार ब्लड शुगर का यूं तेजी से बढ़ना इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या खड़ी कर सकता है, जो आगे चलकर टाइप-2 डायबिटीज़ में बदल सकती है।
खासकर जो लोग बैठे-बैठे काम करते हैं, या जिनकी शारीरिक गतिविधि कम होती है, उन्हें यह खतरा और अधिक होता है। लगातार ज्यादा मात्रा में रोटी, चावल या अन्य स्टार्चयुक्त चीजें खाने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो सकता है।
तो क्या रोटी-चावल खाना छोड़ देना चाहिए? नहीं, बल्कि ज़रूरत है संतुलन और सही विकल्प चुनने की। जैसे, सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस, और मैदे की रोटी की जगह मल्टीग्रेन या जौ-बाजरे की रोटी को प्राथमिकता दें। साथ ही, फाइबर युक्त सब्ज़ियाँ और प्रोटीन को अपने भोजन में शामिल करें।
इस दिवाली और आगे भी, स्वाद के साथ-साथ सेहत का भी रखें ध्यान, क्योंकि डायबिटीज़ अब केवल मीठे की बीमारी नहीं रही।
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