यूपी में बिजलीकर्मियों का निजीकरण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान, दिवाली पर बिजली संकट की आशंका

बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन तेज

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के प्रस्ताव को लेकर कर्मचारियों में नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। राज्य सरकार द्वारा वितरण निगमों को निजी हाथों में देने की तैयारी के विरोध में बिजलीकर्मियों ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया तो पूरे प्रदेश में व्यापक आंदोलन किया जाएगा, जिससे बिजली आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।

यूनियनों का सरकार को अल्टीमेटम

राज्य की विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सरकार को चेतावनी दी है कि वह निजीकरण का प्रस्ताव तुरंत वापस ले। समिति के नेताओं का कहना है कि यह कदम न केवल कर्मचारियों के भविष्य के लिए खतरा है बल्कि उपभोक्ताओं के हितों के भी खिलाफ है। यूनियन ने दावा किया कि निजी कंपनियों के आने से बिजली महंगी हो जाएगी और सेवा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा।

दिवाली पर बिजली संकट की आशंका

चूंकि आंदोलन का ऐलान दिवाली से पहले किया गया है, इसलिए त्योहार के दौरान बिजली संकट की आशंका जताई जा रही है। समिति ने कहा है कि वह उपभोक्ताओं को असुविधा नहीं देना चाहती, लेकिन यदि सरकार ने कर्मचारियों की मांगों को नजरअंदाज किया तो मजबूरन कार्य बहिष्कार और हड़ताल करनी पड़ेगी। इस कारण दिवाली की रात रोशनी पर भी अंधकार का साया पड़ सकता है।

सरकार और कर्मचारियों के बीच टकराव बढ़ा

वहीं, सरकार का कहना है कि निजीकरण से बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी। लेकिन कर्मचारी संगठनों का तर्क है कि यह सुधार नहीं, बल्कि मुनाफाखोरी की नीति है। उनका कहना है कि पिछले कई दशकों से सरकारी कर्मचारी ही प्रदेश में बिजली आपूर्ति की रीढ़ रहे हैं और निजी कंपनियां सिर्फ मुनाफे के लिए काम करेंगी।

जनता में भी चिंता का माहौल

इस विवाद से आम जनता भी चिंतित है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर दिवाली पर बिजलीकर्मी हड़ताल पर चले गए तो घरों की रोशनी कैसे बरकरार रहेगी। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस तेज हो गई है।

निष्कर्ष

यूपी में बिजलीकर्मियों का यह आंदोलन सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो राज्य में दिवाली के दौरान बिजली संकट गहराने की पूरी संभावना है। जनता को अब सरकार और कर्मचारियों के बीच समझौते की उम्मीद है ताकि रोशनी का त्योहार अंधेरे में न डूबे।

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