छठ महापर्व के पावन अवसर पर जहां पूरे बिहार में श्रद्धा और आस्था का माहौल दिखाई दे रहा था, वहीं पटना से आए एक दुखद समाचार ने लोगों का दिल दहला दिया। सोमवार को छठ घाटों पर अर्घ्य देने के दौरान तीन अलग-अलग परिवारों की खुशियाँ मातम में बदल गईं। गंगा नदी में डूबने और दिल का दौरा पड़ने की घटनाओं ने प्रशासन और स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया है। ये मामले इस बात की ओर भी संकेत करते हैं कि पर्व के दौरान सावधानी और स्वास्थ्य को लेकर अलर्ट रहना कितना जरूरी है।
पहली घटना पटना के गंगा घाट पर हुई, जहाँ अर्घ्य की तैयारी के समय दो युवक पानी में उतर गए। बताया जा रहा है कि दोनों युवकों को तैराकी की अधिक जानकारी नहीं थी और भीड़ के बीच अचानक वे गहरे पानी की ओर खिंचते चले गए। मौके पर मौजूद लोगों ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन प्रवाह तेज होने के कारण प्रयास असफल रहे। बाद में स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमों ने खोज अभियान चलाकर दोनों शवों को बाहर निकाला। इस घटना से घाट पर मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई और परिवारवालों में कोहराम मच गया।
दूसरी दर्दनाक घटना एक छठ व्रती महिला से जुड़ी है। वे अपने परिवार के साथ अर्घ्य देने घाट जा रही थीं, तभी रास्ते में अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई। आसपास के लोगों ने पहले तो उन्हें संभाला, लेकिन हालत बिगड़ती देख तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें हार्ट अटैक आया था। इलाज के प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। परिवार पर मानो दुख का पहाड़ टूट पड़ा। घर में त्योहार की तैयारी के बीच इस तरह की त्रासदी ने सभी को शोक में डूबा दिया।
इन घटनाओं के बाद प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल उठने लगे हैं। हालांकि पुलिस और सुरक्षा जवान घाटों पर तैनात थे, लेकिन भीड़ की वजह से निगरानी चुनौतीपूर्ण रही। विशेषज्ञों का कहना है कि छठ जैसे भीड़-भाड़ वाले त्यौहारों में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए, खासकर दिल की बीमारी, हाई बीपी और शुगर वाले व्यक्तियों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। नदी के किनारे सावधानी, तैराकी न जानने वालों का गहरे क्षेत्र में न जाना और बच्चों पर विशेष ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।
फिलहाल तीनों परिवारों में मातम पसरा है और पूरे इलाके में शोक का माहौल है। प्रशासन ने भविष्य में सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी अधिक सख्ती लाने का आश्वासन दिया है। इस दुखद घटना ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आस्था के साथ-साथ सुरक्षा और स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देना जरूरी है।
.jpg)
0 टिप्पणियाँ