बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। सीटों की संख्या तय हो जाने के बावजूद दो दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक एनडीए की सामूहिक प्रेस वार्ता नहीं हो पाई है। इससे राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हैं कि गठबंधन के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा।
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (BJP), जनता दल (यूनाइटेड) यानी JDU, और सहयोगी दलों के बीच सीटों की अंतिम रूपरेखा पर सहमति तो बन गई है, लेकिन कुछ सीटों को लेकर असहमति अभी भी बनी हुई है। यही वजह है कि गठबंधन की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस लगातार टल रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह देरी कहीं न कहीं एनडीए की आंतरिक खींचतान को उजागर कर रही है।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और JDU के वरिष्ठ नेता संजय झा इन दिनों “आपदा प्रबंधन” मोड में हैं। दोनों नेता लगातार दिल्ली और पटना के बीच संवाद साध रहे हैं ताकि किसी भी प्रकार का विवाद सार्वजनिक रूप से सामने न आए। कहा जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व नहीं चाहता कि चुनाव से पहले किसी भी तरह की दरार का संदेश जनता तक पहुंचे।
इस बीच, JDU चाहती है कि पिछली बार की तुलना में उसे अधिक सीटें मिलें, जबकि बीजेपी अपने संगठन के मजबूत नेटवर्क के आधार पर ज्यादा हिस्सेदारी की मांग कर रही है। वहीं, छोटे सहयोगी दल—जैसे हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)—भी अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बनाए रखना चाहते हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह “सीट शेयरिंग” का विवाद भले ही अस्थायी हो, लेकिन यह एनडीए के भीतर संतुलन साधने की बड़ी चुनौती को दर्शाता है। चुनाव नजदीक हैं, और अगर यह विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो इसका असर उम्मीदवारों की घोषणा और प्रचार रणनीति पर पड़ सकता है।
फिलहाल, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि एनडीए आखिर कब अपनी संयुक्त प्रेस वार्ता कर औपचारिक रूप से सीट बंटवारे का ऐलान करता है। परिदृश्य यही दर्शा रहा है कि बिहार की राजनीति में इस बार भी "सीटों का गणित" सत्ता के समीकरण तय करेगा।

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