प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए 693 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। यह राशि मछली पालन से जुड़े बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने में खर्च की जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक स्तर पर मत्स्य उत्पादन में अग्रणी देशों की सूची में शामिल किया जाए।
इसके साथ ही, पीएम मोदी ने फूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए 800 करोड़ रुपये के निवेश की भी घोषणा की। इस कदम से किसानों को उनकी फसलों का बेहतर मूल्य मिल सकेगा और कृषि उत्पादों को प्रोसेसिंग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि “भारत का किसान अब केवल उत्पादक नहीं, बल्कि ‘वैल्यू क्रिएटर’ भी बनेगा।”
इन योजनाओं में कृषि से जुड़े कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है — जैसे सिंचाई व्यवस्था में सुधार, कृषि उपकरणों का आधुनिकीकरण, बीज और उर्वरक की उपलब्धता, और कृषि उत्पादों के लिए बेहतर बाजार व्यवस्था। प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि सरकार किसानों को “एंड टू एंड सपोर्ट सिस्टम” देने पर काम कर रही है, ताकि बीज से लेकर बाजार तक हर स्तर पर उन्हें मदद मिल सके।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि देश की आर्थिक प्रगति में किसानों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “भारत की आत्मनिर्भरता का रास्ता गांवों और खेतों से होकर जाता है।” इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने किसानों से संवाद भी किया और उन्हें नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल कृषि क्षेत्र में निवेश और रोजगार के नए अवसर खोलेगी। इससे ग्रामीण युवाओं को खेती-बाड़ी से जुड़े उद्यमों में भी भागीदारी का मौका मिलेगा। कुल मिलाकर, पीएम मोदी की यह योजना किसानों को सशक्त बनाने और भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है।
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