एक बड़े वैश्विक अध्ययन में द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत में लगभग 98.5 लाख युवाओं की मौत हुई। यह संख्या चिंता बढ़ाने वाली है, खासकर जब दुनिया भर में कुल मृत्यु दर में 67% की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि युवाओं में मौत की दर कम नहीं हुई क्योंकि आत्महत्या, ड्रग्स का ओवरडोज और अत्यधिक शराब का सेवन प्रमुख कारण बने हुए हैं।
यह अध्ययन ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) 2023 का हिस्सा है। इसमें दुनियाभर के 3.10 लाख से अधिक स्रोतों और 14,000 से अधिक शोधकर्ताओं एवं विशेषज्ञों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। GBD अध्ययन हर साल स्वास्थ्य जोखिम और मृत्यु दर के वैश्विक पैटर्न का विश्लेषण करता है और नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अध्ययन के अनुसार, भारत में युवा वयस्क (15–39 वर्ष) वर्ग में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और नशे की लत मौत का सबसे बड़ा कारण बन रही हैं। विशेष रूप से:
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आत्महत्या: युवा वर्ग में मानसिक तनाव, बेरोजगारी और सामाजिक दबाव के चलते बढ़ रही है।
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ड्रग्स ओवरडोज: इंजेक्शन और नशीले पदार्थों के उपयोग से अप्रत्याशित मौतें हो रही हैं।
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अत्यधिक शराब का सेवन: शराब के कारण हार्ट अटैक, लिवर फेल्योर और दुर्घटनाओं में मौतें बढ़ रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, जागरूकता का अभाव और सामाजिक समर्थन तंत्र का कमजोर होना इन मौतों को बढ़ावा दे रहा है।
सलाह और समाधान:
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युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाना और समय पर मदद उपलब्ध कराना।
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ड्रग्स और शराब के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त नीतियाँ और कार्यक्रम लागू करना।
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सामाजिक समर्थन नेटवर्क को मजबूत करना और तनाव प्रबंधन की शिक्षा देना।
कुल मिलाकर, यह सर्वे भारत में युवाओं की बढ़ती मृत्यु दर को लेकर एक चेतावनी है। अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति देश के भविष्य और विकास पर गहरा असर डाल सकती है।
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