नया डायबिटीज़ वर्ग सामने आया
डायबिटीज़ को अब तक मुख्य रूप से टाइप-1, टाइप-2, गर्भकालीन (Gestational) और कुछ दुर्लभ प्रकारों में बाँटा जाता रहा है। लेकिन हाल ही में विशेषज्ञों ने एक नए प्रकार—टाइप-5 डायबिटीज़—को औपचारिक मान्यता देने की मांग की है। यह डायबिटीज़ का अब तक का सबसे कम चर्चित और उपेक्षित स्वरूप माना जा रहा है।
किसे प्रभावित करता है टाइप-5 डायबिटीज़?
अध्ययनों के अनुसार, यह प्रकार खासतौर पर युवा और दुबले-पतले लोगों को प्रभावित करता है।
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इन मरीजों का वजन सामान्य या कम होता है।
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शरीर में वसा (Fat) की मात्रा बहुत कम रहती है।
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बावजूद इसके, ब्लड शुगर स्तर लगातार असामान्य बना रहता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या पारंपरिक टाइप-2 डायबिटीज़ से अलग है, क्योंकि इसमें मोटापा या अधिक वज़न मुख्य कारण नहीं होता।
दुनिया में कितने मामले?
टाइप-5 डायबिटीज़ पर अभी शोध शुरुआती चरण में है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य जर्नल्स के अनुसार, अब तक इसके हज़ारों मामलों की पहचान की जा चुकी है, खासकर एशिया और अफ्रीका में। हालांकि, इसकी सटीक संख्या और फैलाव पर आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं। यही कारण है कि वैज्ञानिक इसे जल्द से जल्द अलग श्रेणी में मान्यता देने की मांग कर रहे हैं।
क्यों खतरनाक है?
टाइप-5 डायबिटीज़ को खतरनाक इसलिए माना जा रहा है क्योंकि:
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यह अक्सर कम उम्र में शुरू होता है।
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मरीज का वजन कम होने के बावजूद इंसुलिन रेजिस्टेंस विकसित हो जाता है।
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लंबे समय तक पहचान न होने पर यह किडनी, आंख और नसों को तेजी से नुकसान पहुँचा सकता है।
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पारंपरिक डायबिटीज़ उपचार इस पर उतना असरदार नहीं हो पाते।
विशेषज्ञों की राय
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट्स और डायबिटीज़ रिसर्चर्स का कहना है कि अगर इसे अलग श्रेणी में मान्यता मिलती है, तो इसके लिए विशेष दवाएँ, डाइट चार्ट और प्रबंधन तकनीकें विकसित की जा सकती हैं। इससे लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।
निष्कर्ष
टाइप-5 डायबिटीज़ अभी भी चिकित्सा जगत के लिए एक चुनौती बना हुआ है। चूँकि यह युवा और सामान्य वजन वाले लोगों को प्रभावित करता है, इसकी पहचान करना कठिन होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए अलग जागरूकता अभियान और उपचार पद्धति विकसित करना बेहद जरूरी है।
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