Teachers Day 2025: भारत के ऐतिहासिक शैक्षिक संस्थान, जिन्होंने दुनिया को दी ज्ञान की रोशनी

शिक्षक दिवस और भारत की शिक्षा परंपरा

भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल अपने शिक्षकों के सम्मान का अवसर नहीं है, बल्कि भारतीय शिक्षा परंपरा के गौरवशाली इतिहास को याद करने का भी है। भारत ने ऐसे कई ज्ञान केंद्र दिए, जिनका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ा। नालंदा, तक्षशिला और शांति निकेतन जैसे संस्थान न केवल शिक्षा के धाम थे, बल्कि भारतीय संस्कृति, मूल्य और जीवन दर्शन के जीवंत प्रतीक भी रहे।

नालंदा विश्वविद्यालय: ज्ञान का महासागर

नालंदा विश्वविद्यालय बिहार में स्थित था और इसकी स्थापना 5वीं सदी ईस्वी में हुई थी। इसे दुनिया का पहला आवासीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय माना जाता है। नालंदा में वेद, दर्शन, गणित, खगोल विज्ञान और चिकित्सा जैसे विषयों की शिक्षा दी जाती थी। यहां हजारों विद्यार्थी और शिक्षक भारत ही नहीं, बल्कि चीन, तिब्बत, कोरिया और मंगोलिया से भी आते थे। नालंदा केवल शिक्षा का केंद्र नहीं था, बल्कि यह वैश्विक संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी प्रतीक था।

तक्षशिला विश्वविद्यालय: प्राचीन विश्व का पहला विश्वविद्यालय

तक्षशिला, जिसे आज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जाना जाता है, विश्व के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक था। इसकी स्थापना 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी। यहां लगभग 10,000 विद्यार्थी और 200 आचार्य शिक्षा से जुड़े रहते थे। राजनीति, युद्धनीति, वेद, अर्थशास्त्र, चिकित्सा और खगोल विज्ञान जैसे विषय यहां पढ़ाए जाते थे। यही वह स्थान था जहां पाणिनि, चाणक्य और चरक जैसे विद्वानों ने शिक्षा प्राप्त की। तक्षशिला को आज भी मानव इतिहास के पहले विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है और यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।

शांति निकेतन: आधुनिक भारत का शिक्षा धाम

शांति निकेतन की स्थापना 1863 में महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने पश्चिम बंगाल में की थी। बाद में रवींद्रनाथ टैगोर ने 1901 में इसे गुरुकुल शैली के विद्यालय और 1921 में विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया। यहां शिक्षा को पारंपरिक ढांचे से हटाकर प्रकृति, कला, साहित्य और संगीत के साथ जोड़ा गया। शांति निकेतन को आज विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। यह भारतीय और पश्चिमी शिक्षा का एक अद्भुत संगम है, जिसने छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान किया।

निष्कर्ष

भारत की शिक्षा परंपरा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं रही। यहां शिक्षक अपने विद्यार्थियों को जीवन दर्शन, मूल्य और संस्कार सिखाते थे। यही कारण है कि नालंदा, तक्षशिला और शांति निकेतन जैसे संस्थान आज भी विश्वभर के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। इस शिक्षक दिवस 2025 पर हमें इन ऐतिहासिक धरोहरों को याद कर यह स्वीकार करना चाहिए कि शिक्षा ही सभ्यता की असली नींव है।

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