Survey 2025: भारतीय बी-स्कूल्स में AI का तेजी से बढ़ता इस्तेमाल


 भारत के टॉप बी-स्कूल्स में जेनेरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। यह तकनीक अब पढ़ाई, रिसर्च और करिकुलम डिजाइन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी है। बी-स्कूल्स में छात्रों और फैकल्टी दोनों ही AI टूल्स का इस्तेमाल कर नए शैक्षिक अनुभव और शोध परियोजनाओं को गति दे रहे हैं।

AI का बढ़ता प्रभाव

सर्वे के अनुसार, अधिकांश बी-स्कूल्स में AI का इस्तेमाल केस स्टडी, डेटा एनालिटिक्स, रिपोर्ट तैयार करने और शोध प्रोजेक्ट्स में किया जा रहा है। इसके अलावा, करिकुलम डिजाइन में भी AI को शामिल कर छात्र अनुभव को और इंटरेक्टिव और पर्सनलाइज़्ड बनाया जा रहा है। यह स्पष्ट संकेत है कि भारतीय बी-स्कूल्स वैश्विक स्तर पर AI के इस्तेमाल में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

फैकल्टी में विशेषज्ञता की कमी

हालांकि, सर्वे में यह भी सामने आया कि सिर्फ 7% फैकल्टी ही AI के एक्सपर्ट यूजर हैं। इसका मतलब है कि ज्यादातर अध्यापक AI टूल्स का इस्तेमाल तो कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञता और गहन समझ बहुत कम है। यह चुनौती इस बात को दर्शाती है कि शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

अध्यापकों का दृष्टिकोण

सर्वे में पाया गया कि आधे से ज्यादा अध्यापक AI के प्रभाव को सकारात्मक मानते हैं। उनका मानना है कि AI से पढ़ाई और शोध की गुणवत्ता बढ़ सकती है, छात्रों का सीखने का अनुभव बेहतर हो सकता है और प्रशासनिक कार्यों में भी आसानी आ सकती है। कई फैकल्टी ने यह भी कहा कि AI उन्हें शिक्षण और अनुसंधान में नए अवसर प्रदान कर रहा है।

आगे की राह

विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय बी-स्कूल्स को AI को पूरी तरह अपनाने के लिए फैकल्टी प्रशिक्षण प्रोग्राम और कार्यशालाओं पर जोर देना होगा। साथ ही, छात्रों को AI टूल्स के नैतिक और जिम्मेदार इस्तेमाल की समझ भी विकसित करनी होगी।

निष्कर्ष

भारतीय बी-स्कूल्स में AI का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन फैकल्टी में विशेषज्ञता की कमी और प्रशिक्षण की आवश्यकता बनी हुई है। भविष्य में यदि शिक्षक और छात्र दोनों ही AI का कुशल और जिम्मेदार इस्तेमाल करें, तो यह शिक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

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