QWERTY कीबोर्ड: अक्षर इधर-उधर क्यों हैं, जानिए 99% लोग नहीं जानते यह राज


 आज हम जिस कीबोर्ड पर टाइप करते हैं—चाहे वो कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल का हो—ज़्यादातर जगह QWERTY कीबोर्ड ही देखने को मिलता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी अक्षरों की व्यवस्था इतनी बेतरतीब क्यों लगती है? इस सवाल का जवाब जानकर आप भी चौंक जाएंगे।

QWERTY कीबोर्ड की उत्पत्ति

QWERTY कीबोर्ड की शुरुआत 1873 में क्रिस्टोफर लैथम शोल्स ने की थी। वह टाइपराइटर के अविष्कारक भी थे। उस समय के टाइपराइटर में मेकैनिकल लेवर्स का इस्तेमाल होता था।

  • अगर अक्षर बहुत पास-पास होते, तो टाइप करते समय लीवर अटक जाते

  • इसलिए शोल्स ने अक्षरों को इस तरह रखा कि सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले अक्षर एक-दूसरे से दूर हों

  • इस व्यवस्था से टाइपिंग धीमी लेकिन निर्बाध और चिकनी हो गई।

इस वजह से आज भी हमारी स्क्रीन पर QWERTY कीबोर्ड में अक्षर बेतरतीब लगे हुए लगते हैं।

क्यों आज भी इस्तेमाल होता है QWERTY

हालांकि अब टाइपराइटर नहीं बल्कि कंप्यूटर और मोबाइल कीबोर्ड हैं, फिर भी QWERTY का प्रयोग जारी है। इसके कारण:

  1. एडॉप्शन की वजह – लोग इसे लंबे समय से इस्तेमाल कर रहे हैं और इसके पैटर्न में महारत हासिल कर चुके हैं।

  2. शिक्षा और प्रशिक्षण – स्कूल और टाइपिंग कोर्स में QWERTY ही सिखाया जाता है।

  3. अन्य कीबोर्ड पर बदलाव मुश्किल – AZERTY या Dvorak जैसे विकल्प मौजूद हैं, लेकिन उनका प्रयोग कम होता है।

रोचक तथ्य

  • QWERTY कीबोर्ड की पहली छह अक्षर पंक्ति (Q-W-E-R-T-Y) इसलिए भी खास मानी जाती है कि ये टाइपराइटर के मेकैनिकल डिज़ाइन से मेल खाती थी।

  • दुनिया भर के 99% लोग QWERTY कीबोर्ड पर टाइप करते हैं, लेकिन इसके इतिहास के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते।

  • आज डिजिटल कीबोर्ड पर भी QWERTY पैटर्न को बनाए रखने का कारण है अनुकूलन और उपयोग में आसानी

निष्कर्ष

QWERTY कीबोर्ड में अक्षर इधर-उधर लगना सिर्फ बेतरतीब डिजाइन नहीं, बल्कि इतिहास और तकनीकी कारणों से जुड़ा हुआ है। 19वीं सदी के टाइपराइटर की समस्या ने इस व्यवस्था को जन्म दिया और आज भी यह दुनिया के लगभग हर डिजिटल डिवाइस पर इस्तेमाल हो रहा है। अगली बार जब आप टाइप करें, तो समझें कि यह 19वीं सदी का जादू आज भी आपके हाथों में काम कर रहा है।

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