नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन
नेपाल सरकार ने हाल ही में सभी बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और एक्स (Twitter) पर बैन लगा दिया है। इस फैसले के बाद देशभर में विरोध और बहस छिड़ गई है। सरकार का कहना है कि यह कदम फर्जी खबरों, नफरत फैलाने वाले कंटेंट और साइबर अपराध पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है। हालांकि, आम यूजर्स और डिजिटल एक्टिविस्ट्स का मानना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
भारत में क्या हैं सोशल मीडिया के लिए कानून?
भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पूरी तरह बैन नहीं किए गए हैं, लेकिन इन्हें नियंत्रित करने के लिए कई कड़े नियम बनाए गए हैं। सरकार समय-समय पर IT Act 2000 और उसके तहत बने IT Rules 2021 में बदलाव कर प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी रखती है।
भारत में लागू प्रमुख नियम:
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ग्रेवांस ऑफिसर की नियुक्ति – हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत में एक नोडल ऑफिसर रखना अनिवार्य है, जो यूजर्स की शिकायतों का निपटारा करे।
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24 घंटे में आपत्तिजनक कंटेंट हटाना – अगर किसी पोस्ट पर आपत्ति जताई जाती है तो कंपनी को 24 घंटे के भीतर उसे हटाना होता है।
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60 दिन में शिकायत निपटारा – किसी भी शिकायत को अधिकतम 60 दिन के भीतर सुलझाना जरूरी है।
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फेक न्यूज पर रोक – सरकार और PIB द्वारा चिन्हित फेक न्यूज को प्लेटफॉर्म्स को तुरंत हटाना पड़ता है।
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एंड-टू-एंड ट्रेसबिलिटी – वॉट्सऐप जैसी मैसेजिंग सर्विसेज से सरकार जरूरत पड़ने पर मैसेज के ओरिजिनेटर (शुरुआती भेजने वाले) की जानकारी मांग सकती है।
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डेटा स्टोरेज – सोशल मीडिया कंपनियों को भारतीय यूजर्स का डेटा भारत में ही स्टोर करना पड़ता है।
भारत में बैन कब होता है?
भारत में किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सीधा बैन नहीं किया जाता, लेकिन अगर कोई कंपनी लगातार IT नियमों का उल्लंघन करती है या सरकार के आदेश नहीं मानती, तो उस पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। उदाहरण के लिए, 2021 में सरकार ने ट्विटर पर कई बार नोटिस जारी किए थे।
निष्कर्ष
जहाँ नेपाल ने सोशल मीडिया पर सीधा बैन लगाकर विवाद खड़ा कर दिया है, वहीं भारत ने इन्हें नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम और रेगुलेशन लागू किए हैं। इसका उद्देश्य यूजर्स की सुरक्षा और फेक न्यूज पर रोक लगाना है, लेकिन अभिव्यक्ति की आज़ादी को बरकरार रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
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