सोशल मीडिया पर युवाओं ने नेताओं और उनके बच्चों की विलासितापूर्ण जिंदगी की तस्वीरें और वीडियो वायरल किए। संसद तक पहुंचे आक्रोशित युवाओं ने नारे लगाए – “हमारा टैक्स, तुम्हारी रईसी नहीं चलेगी।” यह सिर्फ गुस्से का इज़हार नहीं, बल्कि एक डिजिटल विद्रोह है जो अब धरातल पर आंदोलन का रूप ले चुका है।
परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर सवाल
नेपाल की राजनीति लंबे समय से परिवारवाद के आरोपों से घिरी रही है। नेपाली कांग्रेस में देउबा परिवार के कई सदस्य सक्रिय हैं। वहीं, केपी ओली ने अपने करीबी रिश्तेदार अंजन शक्य को नेशनल असेंबली का सदस्य बनवाया।
विदेशों में राजदूत नियुक्तियों को लेकर भी विवाद गहराया। आरोप है कि योग्य लोगों की अनदेखी कर नेताओं ने अपने रिश्तेदारों और नजदीकियों को बड़े पदों पर बिठा दिया। उदाहरण के तौर पर –
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महेश दहाल को ऑस्ट्रेलिया का राजदूत बनाया गया, जिन्हें माओवादी नेता प्रचंड का करीबी रिश्तेदार माना जाता है।
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नारद भारद्वाज को कतर भेजा गया, जो पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भरोसेमंद माने जाते हैं।
राष्ट्रपति और सेना प्रमुख की अपील
संकट गहराने के बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने आंदोलनकारियों से संयम बरतने और संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की है। उन्होंने कहा – “प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। अब समाधान निकालने के लिए सभी पक्षों को मिलकर आगे बढ़ना होगा।”
वहीं, नेपाल के सेना प्रमुख अशोक राज सिगदेल ने भी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि “अब और जनधन की हानि न हो। हमें अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा करनी होगी।”
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