मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व
नवरात्रि का चौथा दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप को समर्पित होता है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा प्रसन्न होकर भक्तों को स्वास्थ्य, धन-समृद्धि और ऊर्जा का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन मां को उनका प्रिय भोग अर्पित करने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
प्रिय भोग: मालपुआ
धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं के अनुसार, मां कूष्मांडा को मालपुआ बेहद प्रिय है। यही कारण है कि भक्त नवरात्रि के चौथे दिन मालपुआ का भोग लगाते हैं और इसे परिवार तथा भक्तजनों में प्रसाद स्वरूप वितरित करते हैं। मालपुआ एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है, जो स्वाद और श्रद्धा दोनों का प्रतीक है।
मालपुआ बनाने की सामग्री
मालपुआ बनाने के लिए बहुत ज्यादा सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। आप घर पर आसानी से इसे तैयार कर सकते हैं।
मैदा – 1 कप
सूजी – 2 बड़े चम्मच
दूध – 1 कप
सौंफ – 1 छोटा चम्मच
इलायची पाउडर – ½ छोटा चम्मच
चीनी – ½ कप (चाशनी के लिए)
घी/तेल – तलने के लिए
बनाने की विधि
1. सबसे पहले एक बर्तन में मैदा, सूजी, दूध, सौंफ और इलायची पाउडर मिलाकर एक गाढ़ा घोल तैयार कर लें।
2. इस घोल को 15-20 मिनट के लिए ढककर रख दें, ताकि मिश्रण अच्छे से फूल जाए।
3. अब एक कड़ाही में घी या तेल गरम करें और चम्मच की सहायता से घोल को गोल आकार में डालें।
4. मालपुआ को दोनों ओर से सुनहरा भूरा होने तक तल लें।
5. एक अलग बर्तन में चीनी और पानी से चाशनी तैयार करें और तले हुए मालपुए उसमें डुबो दें।
6. कुछ देर बाद इन्हें निकालकर प्लेट में सजाएं।
पूजा और प्रसाद में उपयोग
तैयार मालपुआ को मां कूष्मांडा को भोग लगाकर अर्पित करें। भोग लगाने के बाद इन्हें परिवार के सदस्यों और भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित करें। माना जाता है कि इस दिन मालपुआ का भोग लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मां कूष्मांडा की कृपा सदैव बनी रहती है।
निष्कर्ष
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की आराधना के साथ मालपुआ का भोग अर्पित करना न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भक्तों को भक्ति और स्वाद का अद्भुत अनुभव भी प्रदान करता है। सरल विधि से बने मालपुआ से नवरात्रि के उत्सव की मिठास और बढ़ जाती है।
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