नवरात्रि और दुर्गा पूजा का महत्व
नवरात्रि, जिसे शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव है जिसमें देवी मां के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन विशेष मंत्र, आरती और भक्ति के साथ मां दुर्गा की पूजा की जाती है। यह समय आध्यात्मिक शुद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
दुर्गा विसर्जन कब होगा
नवरात्रि के नौ दिनों तक पूजा-अर्चना के बाद, दसवें दिन मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है। इस वर्ष 2025 में दुर्गा विसर्जन 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। विसर्जन के दिन भक्त मां दुर्गा की मूर्तियों को पवित्र जल में विसर्जित करते हैं। यह अनुष्ठान केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि यह जीवन में नई शुरुआत और नकारात्मकता से मुक्ति का प्रतीक भी है।
विसर्जन का शुभ मुहूर्त
व्रतियों और भक्तों के लिए यह जानना जरूरी है कि विसर्जन का सही समय क्या है। इस वर्ष, 2 अक्टूबर 2025 को सुबह और दोपहर के बीच का समय सबसे शुभ माना गया है। यह समय स्नान, पूजा और विसर्जन के लिए उपयुक्त है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से मान्यता है कि मां दुर्गा का आशीर्वाद अधिक प्रभावशाली होता है और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
दुर्गा विसर्जन की विधि
1. पहले दिन की तरह ही मूर्ति की साफ-सफाई और सजावट करें।
2. मंत्रों और आरती के साथ मां को श्रद्धा से प्रणाम करें।
3. जलाशय, तालाब या नदी में मूर्ति को धीरे-धीरे विसर्जित करें।
4. विसर्जन के बाद सभी भक्त अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करें और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें।
धार्मिक और सामाजिक महत्व
दुर्गा विसर्जन केवल एक अनुष्ठान नहीं है। यह सकारात्मक ऊर्जा और नए आरंभ का प्रतीक है। साथ ही यह समाज में भाईचारे और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी मजबूत करता है। विभिन्न क्षेत्रों में लोग सामूहिक रूप से विसर्जन समारोह आयोजित करते हैं, जिससे समुदाय में सहयोग और मेल-जोल बढ़ता है।
निष्कर्ष
नवरात्रि 2025 का महापर्व 2 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन के साथ समाप्त होगा। इस दिन का सही मुहूर्त, विधि और श्रद्धा के साथ अनुष्ठान करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक बदलाव आते हैं। भक्तों के लिए यह अवसर मां के आशीर्वाद को प्राप्त करने और अपने जीवन में नई ऊर्जा भरने का प्रतीक है।
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