नेपाल Gen Z प्रोटेस्ट: क्यों घट रहे हैं मिस नेपाल श्रृंखला खतिवड़ा के इंस्टाग्राम फॉलोअर्स?


 नेपाल में चल रहे Gen Z प्रोटेस्ट का असर अब राजनीतिक और सामाजिक दायरे से निकलकर सीधे सेलिब्रिटी कल्चर तक पहुंच गया है। खासकर युवा वर्ग सोशल मीडिया पर उन चेहरों को निशाना बना रहा है, जिन्हें वे ‘नेपो बेबीज’ यानी वंशवाद या पारिवारिक प्रभाव से आगे बढ़ने वाले मानते हैं। इसी कड़ी में मिस नेपाल 2018 श्रृंखला खतिवड़ा भी ट्रोल्स और बहिष्कार का शिकार हो रही हैं। उनका इंस्टाग्राम फॉलोअर्स बेस तेजी से घटने लगा है, जो इस आंदोलन की दिशा और गहराई को दिखाता है।

Gen Z प्रोटेस्ट क्या है?

नेपाल के युवा हाल के दिनों में कई मुद्दों पर सड़कों पर उतर आए हैं। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता और पारदर्शिता की कमी जैसे मसलों ने Gen Z को खास तौर पर प्रभावित किया है। यह पीढ़ी सोशल मीडिया का इस्तेमाल केवल मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि विरोध दर्ज कराने और बदलाव की मांग करने के लिए कर रही है।

‘नेपो बेबीज’ क्यों निशाने पर?

नेपाल के युवाओं का आरोप है कि समाज और मनोरंजन जगत में कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें केवल पारिवारिक पहचान और पावर के बल पर पहचान मिली है। ये लोग आम युवाओं की कठिनाइयों से कटे हुए हैं और अपनी विशेष सुविधाओं के कारण आगे बढ़ जाते हैं। ‘नेपो बेबीज’ के खिलाफ यह गुस्सा खासकर सेलिब्रिटीज की ओर मुड़ गया है।

मिस नेपाल श्रृंखला खतिवड़ा विवादों में

मिस नेपाल 2018 श्रृंखला खतिवड़ा सोशल मीडिया पर लंबे समय से चर्चित रही हैं। लेकिन Gen Z आंदोलन के बीच उन्हें ‘एलीट क्लास’ और ‘नेपो बेबी’ की श्रेणी में रखा जा रहा है। नतीजा यह हुआ कि कई यूजर्स ने उन्हें फॉलो करना बंद कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में उनके इंस्टाग्राम फॉलोअर्स में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।

सोशल मीडिया से सेलिब्रिटीज पर दबाव

नेपाल में यह पहली बार देखने को मिल रहा है कि किसी बड़े सामाजिक आंदोलन का असर सीधे सोशल मीडिया फॉलोअर्स पर पड़ रहा है। युवाओं का मानना है कि फॉलोअर्स घटाना एक प्रतीकात्मक कदम है, जिससे सेलिब्रिटीज पर दबाव बने और वे जनता की आवाज़ सुनने को मजबूर हों।

आगे क्या?

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो नेपाल के कई अन्य बड़े चेहरों को भी इसका असर झेलना पड़ सकता है। यह आंदोलन केवल राजनीतिक बदलाव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सेलिब्रिटी कल्चर और समाज में असमानता को भी चुनौती देगा।

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