इंटरनेट आउटेज: लाल सागर में ऑप्टिक केबल कटी


 

कई एशियाई देशों में इंटरनेट स्पीड हुई धीमी

लाल सागर (Red Sea) के नीचे बिछी ऑप्टिकल फाइबर केबल के कटने से मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया के कई देशों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रभावित हुई है। इससे वहां के उपयोगकर्ताओं को स्पीड धीमी होने और नेटवर्क व्यवधान का सामना करना पड़ रहा है।

क्या हुआ है?

अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट ट्रैफिक का बड़ा हिस्सा समुद्र के नीचे बिछी सबमरीन ऑप्टिक फाइबर केबल्स से होकर गुजरता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाल सागर में एक प्रमुख केबल कटने से डेटा ट्रैफिक प्रभावित हुआ है। इस वजह से मध्य-पूर्व और एशियाई देशों के नेटवर्क में दिक्कत देखने को मिल रही है।

किन देशों पर पड़ा असर?

इस आउटेज से सबसे ज्यादा प्रभावित वे देश हैं, जिनकी इंटरनेट कनेक्टिविटी का बड़ा हिस्सा लाल सागर रूट पर निर्भर है।

  • खाड़ी देशों और मध्य-पूर्व के कई हिस्सों में नेटवर्क धीमा हुआ।

  • दक्षिण एशिया के कुछ देशों में भी इंटरनेट स्पीड प्रभावित हुई।

  • हालांकि, कई जगह बैकअप रूट्स के जरिए कनेक्टिविटी बहाल करने की कोशिश की जा रही है।

भारत पर कितना असर?

भारतीय टेलीकॉम कंपनियों ने दावा किया है कि भारत के नेटवर्क पर बड़ा असर नहीं पड़ा है। वजह यह है कि भारतीय ऑपरेटर्स के पास वैकल्पिक रूट्स और अतिरिक्त क्षमता मौजूद है, जिससे डेटा ट्रैफिक को दूसरी सबमरीन केबल्स से डायवर्ट किया जा रहा है।

टेलीकॉम सेक्टर के जानकारों का कहना है कि भारत जैसे बड़े मार्केट में इंटरनेट सेवाओं के लिए कई अंतरराष्ट्रीय केबल सिस्टम जुड़े हुए हैं। इसी कारण किसी एक रूट के प्रभावित होने पर भी नेटवर्क सामान्य रूप से काम करता रहता है।

कितनी जल्दी ठीक होगा?

विशेषज्ञों के अनुसार, समुद्र के नीचे केबल की मरम्मत करना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण और समय लेने वाली प्रक्रिया होती है।

  • मरम्मत के लिए खास शिप्स और उपकरणों की जरूरत होती है।

  • मौसम और समुद्री परिस्थितियों के अनुसार काम में कई दिन से लेकर हफ्ते भी लग सकते हैं।

निष्कर्ष

लाल सागर में केबल कटने से इंटरनेट आउटेज ने एक बार फिर दिखा दिया है कि ग्लोबल कनेक्टिविटी किस हद तक समुद्र के नीचे बिछे केबल्स पर निर्भर है। हालांकि भारत पर इसका बड़ा असर नहीं हुआ है, लेकिन प्रभावित देशों में फिलहाल इंटरनेट स्पीड सामान्य होने में समय लग सकता है।

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