वात, पित्त या कफ कैसे जानें कौन-सा दोष बिगड़ा है?


भारतीय आयुर्वेद शास्त्र में तीन प्रमुख दोष माने गए है, वात, पित्त और कफ। ये दोष हमारे शरीर और मन के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। लेकिन जब इनमें असंतुलन हो जाता है, तब अनेक शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। तो कैसे पता करें कि कौन-सा दोष बिगड़ा है?
अगर वात दोष बढ़ा है, तो व्यक्ति को जोड़ों में दर्द, गैस बनना, कब्ज, सूखापन, नींद की कमी, और चिंता जैसी समस्याएं होती हैं। त्वचा रूखी और शरीर ठंडा महसूस हो सकता है।

पित्त दोष के लक्षणों में बदन में जलन, एसिडिटी, बार-बार गुस्सा आना, अत्यधिक पसीना आना, मुंह में कड़वापन, त्वचा पर फोड़े-फुंसी या एलर्जी शामिल हो सकती है। पित्त व्यक्ति तेज बुद्धि वाला होता है, पर जल्दी चिड़चिड़ा हो जाता है।

कफ दोष बढ़ने पर शरीर भारी लगता है, आलस्य आता है, बलगम बनता है, वजन बढ़ता है, पाचन धीमा हो जाता है और व्यक्ति अधिक नींद लेने लगता है। मन शांत तो होता है लेकिन उत्साह की कमी महसूस होती है।

हर व्यक्ति में तीनों दोष होते हैं, पर एक या दो प्रमुख होते हैं। दोषों का सही आकलन करने के लिए आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेना उचित रहता है। संतुलित आहार, दिनचर्या और योग के माध्यम से इन दोषों को संतुलित किया जा सकता है।
स्वस्थ जीवन का रहस्य, दोषों के संतुलन में छुपा है।

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