अक्सर घरों में बुजुर्गों से सुनने को मिलता है कि उंगलियां चिटकाना यानी 'क्रैकिंग जॉइंट्स' एक अशुभ आदत है। कुछ लोग इसे बुरी किस्मत से जोड़ते हैं, तो कुछ इसे असभ्य व्यवहार मानते हैं। लेकिन सवाल उठता है क्या उंगली चिटकाना वाकई अशुभ है, या ये सिर्फ एक सामाजिक धारणा है?
विज्ञान के अनुसार, जब हम उंगली चिटकाते हैं, तो हमारी उंगलियों के जोड़ यानी joints में मौजूद गैस बबल्स फटते हैं, जिससे आवाज आती है। इसे "cavitation" कहा जाता है। मेडिकल शोधों में यह साबित नहीं हुआ है कि इससे कोई स्थायी नुकसान होता है या यह किसी गंभीर बीमारी की वजह बनता है। हालांकि, अत्यधिक बार-बार ऐसा करना जोड़ों में हल्की तकलीफ या कमजोरी ला सकता है।
अब बात करें मान्यताओं की। कुछ संस्कृतियों में माना जाता है कि उंगली चिटकाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है या देवी-देवता नाराज़ हो सकते हैं। खासकर पूजा के समय या शांत माहौल में इसे अशिष्ट व्यवहार माना जाता है।
तो निष्कर्ष यह है कि उंगली चिटकाना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अशुभ नहीं है, लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों में इसे सही समय और स्थान पर ही करना चाहिए।
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