आज के समय में जहां हृदय रोग (Heart Disease) को मिड-लाइफ या बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, वहीं अब डॉक्टर चेतावनी दे रहे हैं कि यह खतरा बच्चों में भी तेजी से बढ़ रहा है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बचपन से ही बच्चों का ब्लड प्रेशर (BP) नियमित रूप से जांचा जाए, तो आगे चलकर हृदय रोग का जोखिम काफी हद तक कम किया जा सकता है।
क्यों बढ़ रहा है बच्चों में हृदय रोग का खतरा?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि बदलती जीवनशैली बच्चों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रही है। ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बिताना, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, जंक फूड की आदत और मोटापा—ये सभी कारण बचपन से ही हृदय को कमजोर कर रहे हैं। साथ ही, नींद की कमी और तनाव भी छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डाल रहे हैं।
बीपी जांच की अहमियत
विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे ही बच्चा स्कूल जाने की उम्र (5-6 साल) तक पहुंचता है, उसकी नियमित बीपी जांच शुरू कर देनी चाहिए। इससे हाई ब्लड प्रेशर या हृदय से जुड़े शुरुआती लक्षण समय रहते पकड़ में आ सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर बचपन से ही इन संकेतों पर ध्यान दिया जाए, तो आगे चलकर मिड-लाइफ में हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।
बच्चों के लिए जरूरी सावधानियां
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संतुलित आहार: जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों से बचें, बच्चों को हरी सब्जियां, फल और पौष्टिक भोजन दें।
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नियमित व्यायाम: रोजाना कम से कम 1 घंटा खेल-कूद या शारीरिक गतिविधि जरूरी है।
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स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण: टीवी, मोबाइल और वीडियो गेम का समय सीमित करें।
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पर्याप्त नींद: बच्चों को रोजाना 8-10 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
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बीपी और हेल्थ चेकअप: साल में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर और सामान्य स्वास्थ्य जांच कराएं।
भविष्य के लिए बड़ा निवेश
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की सेहत में की गई छोटी-छोटी सावधानियां भविष्य में बड़ी बीमारियों से बचाती हैं। अगर माता-पिता अभी से बच्चों की जीवनशैली और स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे, तो वे न सिर्फ हृदय रोग बल्कि मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से भी बच सकते हैं।
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