डेनमार्क के शोध का प्रमुख निष्कर्ष
हाल ही में डेनमार्क के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जिसमें यह पाया गया कि मोटापा जितना खतरनाक माना जाता है, उससे कहीं अधिक खतरा अत्यधिक दुबलापन (Underweight) में देखने को मिलता है। अध्ययन के अनुसार, जिन लोगों का शरीर बहुत पतला है, उनमें मौत का खतरा तीन गुना तक बढ़ जाता है।
BMI और स्वास्थ्य का संबंध
अध्ययन में BMI (Body Mass Index) का उपयोग किया गया। BMI शरीर की ऊंचाई और वजन के अनुपात को दर्शाता है और इसे स्वास्थ्य जोखिम का मापने का एक मानक तरीका माना जाता है। शोध में पाया गया कि:
अत्यधिक दुबलापन (BMI बहुत कम) वाले लोगों में मृत्यु दर सबसे अधिक थी।
इसके विपरीत, ओवरवेट श्रेणी (BMI लगभग 27) में मृत्यु दर सबसे कम पाई गई।
क्यों है अत्यधिक दुबलापन खतरनाक?
शोध के अनुसार, अत्यधिक दुबलापन कई स्वास्थ्य जोखिमों से जुड़ा है:
शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी
इम्यून सिस्टम कमजोर होना
हृदय और फेफड़ों पर अधिक दबाव
अंगों और मांसपेशियों का कमजोर होना
इन कारणों से अत्यधिक दुबले लोगों में सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा बनाम दुबलापन
हम आमतौर पर मोटापे को स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते हैं, लेकिन यह अध्ययन इसे चुनौती देता है। मोटापे से जुड़े रोग जैसे हृदय रोग, डायबिटीज़ और उच्च रक्तचाप जरूर खतरनाक हैं, लेकिन अत्यधिक दुबलापन स्ट्रेस, कमजोरी और पोषण की कमी के कारण जीवन के लिए और भी गंभीर साबित हो सकता है।
स्वस्थ BMI का महत्व
शोधकर्ताओं ने बताया कि संतुलित BMI स्वास्थ्य के लिए सबसे लाभकारी है। अध्ययन से यह भी स्पष्ट हुआ कि न सिर्फ मोटापे से बचना जरूरी है, बल्कि अत्यधिक दुबलापन को भी गंभीरता से लेना चाहिए। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि वजन बढ़ाने या घटाने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और जीवनशैली सुधार महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष
डेनमार्क के इस शोध ने यह संदेश दिया है कि केवल मोटापा ही नहीं, बल्कि अत्यधिक दुबलापन भी जीवन के लिए खतरा बन सकता है। खासकर लोग जो बहुत पतले हैं, उन्हें अपने पोषण और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। संतुलित BMI न केवल लंबी उम्र बढ़ाता है बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाता है।
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