नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा की मूर्ति स्थापना और पूजा विधि


 

1. दिन-तीनों रंग और देवी की परंपराएँ

नवरात्रि के तीसरे दिन यानी दिवस-तीसरी (Tritiya) को माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। इस दिन का विशेष रंग नीला (Blue) है, जिसे पहनने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलने की मान्यता है। 

2. भोग-प्रसाद: माँ चंद्रघंटा को अर्पित वस्तुएँ

तीसरे दिन भक्त माँ चंद्रघंटा को खास भोग अर्पित करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • खीर-मिल्क आधारित मिठाइयाँ

  • केले, फल, नारियल

  • पान-सुपारी आदि सामग्रियाँ। 
    यह प्रसाद भक्ति और आराधना का प्रतीक है, जो भक्तों को आत्मबल, साहस और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति की कामना के साथ अर्पित किया जाता है। 

3. भक्तों की भीड़ और मंदिरों में सजावट

मध्य प्रदेश के उज्जैन, देवास और नलखेड़ा जैसे धार्मिक स्थलों पर व्यक्ति-व्यक्ति दूर-दूर से दर्शन करने पहुँच रहे हैं। इनमें भक्तों की कतारें किलोमीटर-भर तक फैली हुई हैं। मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन ने दर्शन और पूजा व्यवस्था सुचारू बनाने के लिए विशेष तैयारियाँ की हैं।

4. नवरात्रि 2025: रंग, वेशभूषा और फैशन ट्रेंड

  • तीसरे दिन यानी माँ चंद्रघंटा की आराधना के दिन लोग परिधान में नीला (Blue) पहनते हैं, जो साहस, निर्भयता और आंतरिक स्थिरता का प्रतीक है। 

  • इसके अलावा बॉलीवुड-प्रेरित फैशन लुक्स भी ट्रेंड में हैं—नीले रंग के परिधानों के साथ हल्के एसेसरीज़ और पारंपरिक पोशाकों का मिश्रण देखने को मिल रहा है। 

मूर्ति स्थापना की तैयारी

  • नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • घर या पूजा स्थल के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में लकड़ी के पाटे पर लाल या पीले कपड़े का आसन बिछाएँ।

  • कपड़े पर चावल, कलश और आम के पत्तों से सजी हुई पूजा वेदी तैयार करें।

  • कलश के ऊपर नारियल रखकर देवी का आवाहन करें।

माता चंद्रघंटा की प्रतिमा/चित्र की स्थापना

  • मूर्ति या चित्र को पाटे के ऊपर स्थापित करें।

  • देवी को फूलों की माला, चुनरी, आभूषण और हल्के नीले या सुनहरे रंग के वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।

  • पास में दीपक जलाएँ और धूप-अगरबत्ती से वातावरण को शुद्ध करें।

पूजा की विधि

  1. आचमन और संकल्प

    • जल लेकर आचमन करें और नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा का संकल्प लें।

  2. आवाहन मंत्र

    • “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” मंत्र से देवी का ध्यान करें।

  3. अभिषेक और अर्पण

    • माँ की मूर्ति पर जल, गंगाजल, दूध, शहद और पंचामृत से स्नान कराएँ (यदि संभव हो तो)।

    • रोली, अक्षत, फूल, चंदन और सुगंधित वस्त्र चढ़ाएँ।

  4. भोग और प्रसाद

    • माँ चंद्रघंटा को दूध से बनी खीर, मिठाई, केले और नारियल का भोग अर्पित करें।

    • पान, सुपारी और इलायची भी प्रसाद में चढ़ाना शुभ होता है।

  5. आरती और कीर्तन

    • दीपक और कपूर से आरती करें।

    • “जय अम्बे गौरी” या “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” का कीर्तन करें।

पूजा का महत्व

  • माना जाता है कि माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भय, चिंता और मानसिक अस्थिरता दूर होती है

  • भक्तों को साहस, शांति और आत्मविश्वास का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • घर के वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और समृद्धि का आगमन होता है।

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