नेपाल इस समय गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के 9 सितंबर को इस्तीफे के बाद सत्ता का खालीपन बना हुआ है। इस बीच सेना ने हालात संभाल रखे हैं और कर्फ्यू लागू है।
हालात और सेना की भूमिका
पिछले दिनों हुए प्रदर्शनों और हिंसा के बाद नेपाल में तनाव बरकरार है। राजधानी काठमांडू समेत ललितपुर और भक्तपुर जिलों में निषेधाज्ञा और कर्फ्यू बढ़ा दिया गया है। सेना प्रमुख ने राष्ट्रपति को मौजूदा स्थिति की जानकारी दी है और जेन-जी आंदोलनकारियों के साथ बातचीत का दूसरा दौर जारी है। सेना ने अपील की है कि लोग छोटे समूहों में आवश्यक वस्तुएं खरीदें।
प्रदर्शन और हिंसा
कथित भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ जेन-जी नेतृत्व वाले प्रदर्शनों ने दो दिनों तक उग्र रूप लिया। संसद भवन के बाहर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 19 युवकों समेत कुल 30 लोगों की मौत हुई और 600 से अधिक घायल हुए। भीड़ के हमले में तीन पुलिसकर्मी मारे गए और कई अधिकारी घायल हुए। पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा भी हमले में चोटिल हुए।
जेलों में बवाल और फरार कैदी
हिंसक माहौल का असर जेलों तक पहुंचा। झड़पों में आठ कैदियों की मौत हो गई, जबकि देश की 24 से ज्यादा जेलों से 15,000 कैदी भाग निकले। भारत-नेपाल सीमा पर एसएसबी ने अब तक 35 कैदियों को पकड़ा है।
अंतरिम सरकार की कवायद
आंदोलनकारियों ने अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम आगे बढ़ाया है। काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने इसका समर्थन करते हुए संसद भंग करने और नई चुनावी सरकार बनाने की मांग की। उनका कहना है कि यह सरकार केवल चुनाव कराने और नया जनादेश दिलाने के लिए बने।
सुशीला कार्की की भूमिका
पूर्व चीफ जस्टिस कार्की खुद सड़कों पर उतरकर युवाओं के प्रदर्शन का समर्थन कर चुकी हैं। उन्होंने सरकार की गोलीबारी को ‘हत्या’ करार दिया। युवाओं ने उनके नाम पर हस्ताक्षर अभियान चलाया, जिसमें 2500 से ज्यादा लोगों ने समर्थन दिया। कार्की ने कहा था कि यदि 1000 युवा उनका समर्थन करेंगे तो ही वे अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी लेंगी।
शिक्षा और पृष्ठभूमि
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर में हुआ। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और नेपाल की त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की और न्यायपालिका में सुधारों को आगे बढ़ाया।
नेपाल की सियासत अब इस मोड़ पर है जहां अंतरिम सरकार की घोषणा जल्द होना तय माना जा रहा है। सवाल यह है कि संसद भंग कर नए चुनाव कब कराए जाएंगे।

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