सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। हाल ही में हुए चुनाव में उन्होंने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर यह पद हासिल किया। राधाकृष्णन को 452 प्रथम वरीयता वोट मिले जबकि रेड्डी को 300 वोट ही मिले। अब वे जल्द शपथ लेंगे। आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति का पद भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में क्यों अहम है, उनकी जिम्मेदारियां क्या होंगी और उन्हें किन सुविधाओं का अधिकार मिलेगा।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में उपराष्ट्रपति का महत्व
भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। इनका कार्यकाल 5 साल का होता है, हालांकि नए उपराष्ट्रपति के शपथ लेने तक वे पद पर बने रहते हैं। उपराष्ट्रपति का महत्व इसलिए भी है क्योंकि आपात परिस्थितियों में वे कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाते हैं।
उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारियां और शक्तियां
राज्यसभा के सभापति: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। इस दौरान वे किसी अन्य लाभ के पद पर नहीं रह सकते।
संविधान और नियमों की व्याख्या: सदन में वे नियमों और संविधान की व्याख्या करने वाले अंतिम प्राधिकारी होते हैं।
दल-बदल पर निर्णय: वे तय करते हैं कि कोई सदस्य दल-बदल कानून के तहत अयोग्य होगा या नहीं।
संसदीय समितियों में अधिकार: सभापति के तौर पर वे विभिन्न समितियों में सदस्यों और अध्यक्षों की नियुक्ति कर सकते हैं।
विशेषाधिकार उल्लंघन मामलों में भूमिका: किसी भी नोटिस पर कार्यवाही के लिए उनकी अनुमति आवश्यक होती है।
कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर भूमिका
राष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफे या बर्खास्तगी पर उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बनते हैं।
यह जिम्मेदारी वे अधिकतम 6 महीने तक निभा सकते हैं, जब तक नया राष्ट्रपति नहीं चुना जाता।
अगर राष्ट्रपति विदेश यात्रा या बीमारी के कारण कार्य नहीं कर पाते तो उपराष्ट्रपति अस्थायी रूप से उनका काम संभालते हैं।
इस दौरान उन्हें राष्ट्रपति की सारी शक्तियां, वेतन और सुविधाएं मिलती हैं।
वेतन और भत्ते
उपराष्ट्रपति को सीधे तौर पर वेतन नहीं मिलता। उन्हें वेतन राज्यसभा के सभापति के रूप में मिलता है।
वर्तमान में यह वेतन 4 लाख रुपये प्रतिमाह है, साथ ही भत्ते भी शामिल हैं।
कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने पर उन्हें राष्ट्रपति का वेतन और भत्ते मिलते ह
सुविधाएं और पेंशन
उपराष्ट्रपति को मुफ्त सरकारी आवास, चिकित्सा सेवाएं, ट्रेन-हवाई यात्रा, मोबाइल-लैंडलाइन और निजी सुरक्षा की सुविधा मिलती है।
उनके पास निजी सचिव, अतिरिक्त सचिव, निजी सहायक, डॉक्टर, नर्सिंग अफसर और चार अटेंडेंट की टीम होती है।
सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें 2 लाख रुपये मासिक पेंशन, एक टाइप-8 सरकारी बंगला और स्टाफ सपोर्ट मिलता है।
निधन के बाद उनकी पत्नी को आजीवन टाइप-7 आवास का अधिकार होता
👉 इस तरह उपराष्ट्रपति का पद केवल औपचारिक न होकर संवैधानिक दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली और जिम्मेदारी भरा है।
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