आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन हाल के शोध बताते हैं कि इन गैजेट्स का ज्यादा उपयोग हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि फोन, लैपटॉप और घरेलू उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी (Blue Light) का लंबे समय तक संपर्क न केवल आंखों और नींद को प्रभावित करता है, बल्कि यह समय से पहले बुढ़ापा (Premature Ageing) लाने का भी कारण बन सकता है।
नीली रोशनी से बढ़ता है उम्र बढ़ने का खतरा
वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि लगातार ब्लू लाइट के संपर्क में रहने से शरीर की सेल रिपेयर क्षमता कमजोर हो जाती है। इसका असर त्वचा, आंखों और दिमाग पर सबसे पहले दिखता है। यही वजह है कि अधिक समय तक स्क्रीन देखने वालों की त्वचा पर झुर्रियां जल्दी पड़ सकती हैं और नींद की गुणवत्ता भी घट जाती है।
नींद और हार्मोन पर असर
मोबाइल और कंप्यूटर का देर रात तक उपयोग मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित करता है। यह हार्मोन नींद को नियंत्रित करता है। जब मेलाटोनिन कम बनने लगता है, तो नींद अधूरी रहती है और शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता। इससे थकान, चिड़चिड़ापन और समय से पहले उम्रदराज दिखने जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
आंखों पर सीधा प्रभाव
ब्लू लाइट का सबसे पहला असर आंखों पर पड़ता है। लगातार स्क्रीन देखने से ड्राई आई, धुंधला दिखना और सिरदर्द जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। लंबे समय तक यह रेटिना डैमेज का कारण भी बन सकती है।
कैसे करें बचाव?
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स्क्रीन टाइम सीमित करें – काम के अलावा फिजूल स्क्रीन देखने से बचें।
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20-20-20 रूल अपनाएं – हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।
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ब्लू लाइट फिल्टर और नाइट मोड का उपयोग करें।
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सोने से कम से कम 1 घंटा पहले स्क्रीन से दूरी बनाएं।
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पोषक आहार और पर्याप्त नींद लें ताकि शरीर की प्राकृतिक रिपेयरिंग क्षमता बनी रहे।
निष्कर्ष
डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन समझदारी से इसका उपयोग करके इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। अभी से सतर्क हो जाएं, वरना स्क्रीन की यह नीली रोशनी आपको समय से पहले बूढ़ा बना सकती है।
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