Alcohol and Dementia Risk: शराब और डिमेंशिया का गहरा रिश्ता


 

शराब और दिमाग पर प्रभाव

शराब का सेवन लंबे समय से स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा हुआ माना जाता है। हाल ही में हुए शोध ने यह स्पष्ट किया है कि शराब किसी भी मात्रा में दिमाग पर नकारात्मक असर डाल सकती है। विशेषकर उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।

डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है

डिमेंशिया एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें मस्तिष्क की स्मृति और सोचने-समझने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर होती है। नई स्टडी में पाया गया है कि शराब का सेवन डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ा सकता है। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि लगातार शराब पीने वाले लोगों में न्यूरोलॉजिकल डिग्रेडेशन अधिक तेजी से होता है।

सुरक्षित मात्रा के बारे में भ्रम

कई लोग मानते हैं कि "थोड़ी मात्रा में शराब पीना सुरक्षित है", लेकिन इस नए अध्ययन ने इस धारणा को चुनौती दी है। अध्ययन के अनुसार, शराब का कोई भी स्तर मस्तिष्क पर नकारात्मक असर डाल सकता है। विशेषकर वृद्धावस्था में शराब का सेवन स्मृति और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

जोखिम कम करने के उपाय

  • शराब से दूरी बनाए रखें – डिमेंशिया और अन्य न्यूरोलॉजिकल रोगों के जोखिम को कम करने के लिए शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करना सबसे सुरक्षित उपाय है।
  • सक्रिय जीवनशैली अपनाएं – नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और मानसिक गतिविधियाँ मस्तिष्क को सक्रिय रखने में मदद करती हैं।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच – रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज स्तर की निगरानी से न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

निष्कर्ष

शराब और डिमेंशिया के बीच संबंध अब वैज्ञानिक रूप से स्पष्ट हो चुका है। चाहे मात्रा कम हो या ज्यादा, शराब का सेवन दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और डिमेंशिया का खतरा बढ़ा सकता है। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य और मस्तिष्क की दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए शराब से पूरी तरह बचना ही सबसे सुरक्षित विकल्प है। इस अध्ययन के निष्कर्ष को ध्यान में रखते हुए जीवनशैली में बदलाव करना बेहद जरूरी है।

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