स्मार्टफोन आज हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा हैं। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक, हम कॉल, चैट, शॉपिंग, एंटरटेनमेंट और कामकाज के लिए इन पर निर्भर रहते हैं। लेकिन अब टेक्नोलॉजी की दुनिया तेजी से बदल रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की प्रगति ऐसी दिशा में बढ़ रही है जो स्मार्टफोन को धीरे-धीरे अप्रासंगिक बना सकती है और भविष्य में हमारी पूरी डिजिटल लाइफ को एक नए रूप में ढाल सकती है।
स्मार्टफोन से आगे की दुनिया
पिछले एक दशक में स्मार्टफोन ने हमारे जीवन में क्रांति ला दी है। लेकिन AI के चलते अब फोकस केवल "डिवाइस" से हटकर "इंटेलिजेंट असिस्टेंट्स" की ओर शिफ्ट हो रहा है। यानी भविष्य में हमें हर काम के लिए हाथ में फोन पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि AI-आधारित तकनीक हमारे आसपास ही मौजूद रहकर हमारी जरूरतें पूरी करेगी।
AI पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट
नई AI तकनीकें अब इस दिशा में काम कर रही हैं कि हमें एक वर्चुअल असिस्टेंट मिले, जो हमारी आदतों और जरूरतों को समझकर फैसले ले सके। उदाहरण के लिए:
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आपकी आवाज से ही कॉल करना या मैसेज भेजना।
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शेड्यूल, ट्रैवल प्लान और शॉपिंग को खुद मैनेज करना।
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हेल्थ डेटा ट्रैक करके डॉक्टर से अपॉइंटमेंट बुक करना।
यह सब बिना स्क्रीन टच किए और बिना किसी ऐप खोले संभव होगा।
वियरेबल्स और स्मार्ट डिवाइसेस का बढ़ता दायरा
AI का इस्तेमाल करने वाले स्मार्ट ग्लासेज़, स्मार्टवॉच और अन्य वियरेबल्स पहले से ही बाजार में मौजूद हैं। कंपनियाँ इन्हें और एडवांस बना रही हैं ताकि ये पूरी तरह स्मार्टफोन को रिप्लेस कर सकें। उदाहरण के लिए, स्मार्ट ग्लासेज़ पर नोटिफिकेशन देखना, मैप्स की दिशा पाना या वीडियो कॉल करना अब संभव हो रहा है।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
हालांकि स्मार्टफोन के बाद की इस AI-ड्रिवन दुनिया तक पहुँचना आसान नहीं होगा। इसमें प्राइवेसी, डेटा सिक्योरिटी, बैटरी और नेटवर्क कनेक्टिविटी जैसी चुनौतियाँ हैं। साथ ही, लोगों की आदतें भी बदलना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि स्मार्टफोन का इस्तेमाल अब एक सहज जीवनशैली बन चुका है।
भविष्य की झलक
टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले 5-10 सालों में हम धीरे-धीरे ऐसी दुनिया में प्रवेश करेंगे जहाँ स्मार्टफोन हमारी जेब में नहीं बल्कि AI हमारे चारों ओर मौजूद होगा। यानी तकनीक और इंसान का रिश्ता और भी ज्यादा सहज, तेज़ और पर्सनलाइज़्ड होगा।
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