दुर्गा अष्टमी का महत्व
नवरात्रि का आठवां दिन, जिसे दुर्गा अष्टमी कहा जाता है, देवी दुर्गा की उपासना के लिए बेहद विशेष माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी महागौरी की पूजा करने से साधक को पवित्रता, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। श्रद्धालु इस तिथि पर व्रत रखते हैं, कन्या पूजन करते हैं और देवी मां को प्रसन्न करने के लिए विशेष आरती और मंत्रों का जाप करते हैं।
दिन की शुरुआत मंत्रों से करें
दुर्गा अष्टमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके देवी मां की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और मंत्रों का उच्चारण करें। माना जाता है कि मंत्रजाप से वातावरण पवित्र होता है और मन को शांति मिलती है। इस दिन "बीज मंत्र" और "पूजन मंत्र" का जाप करना शुभ होता है।
बीज मंत्र
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे"
इस मंत्र का जाप श्रद्धा भाव से करने पर जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पूजन मंत्र
"सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते॥"
यह मंत्र देवी को प्रणाम करने और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक दिव्य साधन है।
आरती का महत्व
अष्टमी पर देवी की आरती करना विशेष फलदायी माना जाता है। आरती से न केवल वातावरण भक्तिमय होता है बल्कि साधक के जीवन में शांति और संतोष का वास होता है। आरती के समय परिवार के सभी सदस्यों को साथ लेकर पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
भक्तिमय संदेश साझा करें
आज के डिजिटल युग में हम अपने प्रियजनों को भक्तिमय शुभकामनाएं भेजकर भी इस दिन को और खास बना सकते हैं। जैसे:
“मां दुर्गा का आशीर्वाद आपके जीवन में सुख-समृद्धि लाए।”
“दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं, मां आपकी हर मनोकामना पूरी करें।”
“इस अष्टमी पर मां महागौरी के आशीर्वाद से जीवन खुशियों और सफलता से भर जाए।”
निष्कर्ष
दुर्गा अष्टमी केवल पूजा का दिन ही नहीं बल्कि आत्मशक्ति और भक्ति को जागृत करने का अवसर है। मंत्र, आरती और शुभकामनाओं के साथ इस दिन की शुरुआत करने से जीवन सकारात्मकता से भर जाता है। इस अवसर पर मां दुर्गा की आराधना करें और अपने प्रियजनों को भी भक्तिमय संदेश भेजें।
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