शिशु मृत्युदर में आई कमी
भारत में शिशु मृत्युदर लंबे समय से चिंता का विषय रही है। 2010 में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 65 बच्चे पांच वर्ष से कम आयु में दम तोड़ देते थे। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और जागरूकता के चलते यह दर 2021 में घटकर 27 हो गई है।
स्तनपान का महत्व
विशेषज्ञ मानते हैं कि जन्म से छह माह तक केवल स्तनपान कराने से बच्चों की प्रतिरक्षा क्षमता मजबूत होती है और असमय मृत्यु का खतरा काफी कम हो जाता है। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ का अनुमान है कि अगर जागरूकता बढ़े और माताएं स्तनपान कराएं तो हर साल करीब 8 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
भारत की स्थिति
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2022 के अनुसार केवल 44% शिशुओं को छह माह तक स्तनपान कराया जाता है। कुपोषण हर साल लगभग 27 लाख बच्चों की जान लेता है, जो कुल बाल मृत्यु का 45% है।
मां और शिशु दोनों के लिए लाभ
स्तनपान से बच्चों को दस्त, श्वसन संक्रमण और मोटापा जैसी बीमारियों से बचाव मिलता है। वहीं, माताओं में प्रसवोत्तर रक्तस्राव, स्तन व अंडाशय कैंसर का खतरा कम होता है।
विशेषज्ञों की सलाह
डब्ल्यूएचओ ने सरकारों और कार्यस्थलों से आग्रह किया है कि माताओं को स्तनपान के अनुकूल माहौल और अवकाश उपलब्ध कराया जाए, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
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