जितिया व्रत का महत्व
संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए किया जाने वाला जितिया व्रत (जीवित्पुत्रिका) बेहद कठिन और फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली माताओं को कभी संतान वियोग नहीं सहना पड़ता। छठ के बाद इसे सबसे कठिन उपवासों में गिना जाता है।
2025 में कब है जितिया व्रत?
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यह व्रत किया जाता है। वर्ष 2025 में जितिया व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। यह पर्व तीन दिनों तक चलता है—
1. पहला दिन (नहाय खाय) – पवित्र स्नान और सात्विक भोजन।
2. दूसरा दिन (निर्जला व्रत) – पूरे दिन-रात बिना जल और अन्न के उपवास।
3. तीसरा दिन (पारण) – पूजा-अर्चना के बाद व्रत का समापन।
व्रत की विधि
जितिया व्रत में जीमूतवाहन, चील और सियारिन की पूजा की जाती है और कथा सुनना अनिवार्य है। व्रती महिलाएं एक दिन पहले मरुआ की रोटी और नोनी का साग खाती हैं। व्रत में सतपुतिया की सब्जी का विशेष महत्व है। पूजा के दौरान सरसों का तेल चढ़ाया जाता है और पारण के बाद इसे बच्चों के सिर पर आशीर्वादस्वरूप लगाया जाता है।
FAQs
क्यों करते हैं व्रत? संतान की दीर्घायु और सुरक्षा के लिए।
कैसे करते हैं? माताएं दिन-रात निर्जला उपवास करती हैं।
श्रीकृष्ण से संबंध? महाभारत युद्ध में अभिमन्यु की संतान को पुनर्जीवित करने की घटना से इसका आरंभ हुआ।
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