Deepfake पर सरकार की सख्ती: डिजिटल पहचान बचाने आ रहा नया कानून


 क्या है Deepfake?

Deepfake तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से बनाए गए ऐसे नकली वीडियो, ऑडियो और इमेज होते हैं जो बेहद वास्तविक लगते हैं। इसमें किसी व्यक्ति की शक्ल या आवाज़ को किसी और संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे व्यक्ति की निजता और पहचान को खतरा हो सकता है।

डेनमार्क ला रहा कड़ा कानून
डेनमार्क सरकार अब डीपफेक कंटेंट पर नियंत्रण के लिए कॉपीराइट कानून में बदलाव करने जा रही है। यह पहल 2025 की शरद ऋतु में संसद में पेश की जाएगी। इसका उद्देश्य फेक वीडियो, वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर क्राइम से निपटना है।

Deepfake से जुड़े खतरे
यूक्रेन, अमेरिका के नेताओं के नकली वीडियो वायरल हुए हैं। UK की कंपनी Arup से $25 मिलियन की ठगी हुई, Ferrari के CEO की आवाज़ का दुरुपयोग हुआ और एक पत्रकार ने AI से बैंक वॉइस सिस्टम तक हैक कर लिया। Resemble.ai के अनुसार, 2025 की दूसरी तिमाही में 487 डीपफेक अटैक हुए जिससे $350 मिलियन का नुकसान हुआ।

दुनियाभर में कदम
अमेरिका का Take It Down Act, EU का Digital Services Act और UK का Online Safety Act जैसे कानून पहले ही प्रभावी हो चुके हैं। डेनमार्क का प्रस्तावित कानून 50 साल बाद तक कलाकार की पहचान की सुरक्षा देगा और उल्लंघन पर सोशल मीडिया कंपनियों पर जुर्माना भी लगेगा। 

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