अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे के बीच कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है, अब यह साफ हो गया है कि भारतीय तेल कंपनियां रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेंगी। सूत्रों के अनुसार, भारत का यह फैसला मूल्य, गुणवत्ता, लॉजिस्टिक्स और आर्थिक कारकों पर आधारित है।
रूसी तेल पर प्रतिबंध नहीं
रूसी तेल पर कभी कोई वैश्विक प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, बल्कि इसे G7 और EU की मूल्य सीमा प्रणाली के तहत रखा गया है। भारत ने रियायती दर पर तेल खरीदकर वैश्विक बाजार को स्थिर बनाए रखने में योगदान दिया है।
यूरोप भी बना रहा सबसे बड़ा खरीदार
जिस समय भारत ने रूस से तेल खरीदा, उस दौरान यूरोपीय संघ रूस से एलएनजी का 51% आयात कर रहा था। चीन और जापान क्रमशः 21% और 18% हिस्सेदारी के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
भारत का वैश्विक ऊर्जा संतुलन में योगदान
भारत, जो अपनी जरूरत का 85% तेल आयात करता है, ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए जिम्मेदारी से रूस से तेल आयात किया, जिससे वैश्विक तेल कीमतें नियंत्रित रहीं और महंगाई पर काबू पाया गया
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