क्या आप जानते हैं कि आज भारत में अंधेपन का एक ऐसा कारण तेजी से बढ़ रहा है, जो पहले सिर्फ बुजुर्गों में देखा जाता था, लेकिन अब 30 से कम उम्र के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. नाम है कॉर्नियल ब्लाइंडनेस.
आंखों की चोट या लालिमा
ये बीमारी तब होती है जब आंख की पारदर्शी परत यानी कॉर्निया चोट, संक्रमण या विटामिन A की कमी से खराब हो जाती है और सबसे दुखद बात? इस अंधेपन को रोका जा सकता है.
हर साल 20,000 से ज्यादा युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं. सिर्फ इसलिए क्योंकि चोट या जलन के बाद वो डॉक्टरी इलाज की जगह घरेलू नुस्खों पर भरोसा करते हैं.
नेत्र बैंक, डोनर की कमी और टेलीमेडिसिन
भारत को हर साल 1 लाख कॉर्निया ट्रांसप्लांट चाहिए, लेकिन होता है सिर्फ 40%, क्यों? डोनर नहीं हैं, जागरूकता नहीं है. अगर आप चाहते हैं कि कोई युवा अंधेरे में न जाए तो आज ही ये जानकारी शेयर करें. आंखें अनमोल हैं, समय पर जांच कराएं, सेफ्टी अपनाएं और नेत्रदान का संकल्प लें.
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