उत्तराखंड: यूसीसी में बड़े बदलाव, धोखा देकर लिव-इन में रहने वालों को कड़ी सजा

विवाह पंजीकरण के नियम में ढील

उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में संशोधन करते हुए विवाह पंजीकरण की समय सीमा छह माह से बढ़ाकर एक साल कर दी है। 26 मार्च 2020 से लागू अधिनियम में अब विलंब होने पर जुर्माने का प्रावधान भी जोड़ा गया है। साथ ही अपील, शुल्क और सब-रजिस्ट्रार के अधिकार भी स्पष्ट किए गए हैं।

धोखे से लिव-इन पर सख्त कार्रवाई

यूसीसी की धारा 380(2) के तहत यदि कोई पहले से शादीशुदा व्यक्ति धोखे से लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है, तो उसे सात साल की सजा और जुर्माना होगा। यह प्रावधान उन पर लागू नहीं होगा जिन्होंने लिव-इन समाप्त कर दिया हो या जिनके साथी का सात साल से अधिक समय से पता न हो।

बल, दबाव और धोखाधड़ी पर जेल

धारा 387 में संशोधन कर यह प्रावधान जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति बल, दबाव या धोखे से सहवास संबंध बनाता है तो उसे सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

नई धाराएं लागू

यूसीसी में धारा 390-क और 390-ख जोड़ी गई हैं। इनके तहत रजिस्ट्रार जनरल को विवाह, तलाक, लिव-इन और उत्तराधिकार से संबंधित पंजीकरण निरस्त करने का अधिकार मिलेगा। वहीं, लगाए गए जुर्माने की वसूली भू-राजस्व बकाए की तरह की जाएगी।

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