सौंफ भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है और आयुर्वेद में पाचन, डिटॉक्स और सेहत सुधारने के लिए सदियों से इस्तेमाल हो रही है। इसे दो तरह से लिया जाता है—कच्ची सौंफ चबाकर या सौंफ का पानी पीकर। दोनों फायदेमंद हैं, लेकिन असर अलग-अलग होता है।
सौंफ चबाने के फायदे
कच्ची सौंफ चबाने से इसके आवश्यक तेल सीधे निकलते हैं, जो पाचक एंजाइम को सक्रिय कर पाचन तुरंत शुरू करते हैं। यह गैस, एसिडिटी और बदहजमी में राहत देता है। इसमें मौजूद फाइबर पेट लंबे समय तक भरा रखता है और वजन नियंत्रित करने में मदद करता है। साथ ही, यह बेहतरीन ब्रीथ फ्रेशनर है। खाने के बाद, सोने से पहले या सफर में इसे लेना बेहतर है।
सौंफ का पानी पीने के फायदे
सौंफ का पानी हाइड्रेट और डिटॉक्स करता है, लीवर-किडनी को स्वस्थ रखता है, मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है और पानी रिटेंशन कम करता है। यह पेट की जलन, कब्ज, हार्मोनल असंतुलन और पीरियड्स के दर्द में भी राहत देता है। सुबह खाली पेट, खाने से पहले या गर्मियों में ठंडा करके लेना अच्छा है।
कौन बेहतर?
पाचन और सांस ताज़ा करने के लिए—सौंफ चबाएं।
डिटॉक्स, वजन घटाने और त्वचा सुधार के लिए—सौंफ का पानी पिएं।
सबसे अच्छा परिणाम पाने के लिए दोनों को दिनचर्या में शामिल करें।
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