क्या आप जानते हैं कि सनातन धर्म में जितना महत्व गंगाजल को दिया गया है, उतना ही पवित्र यमुना जल भी माना जाता है? फिर भी, यमुना जल को घर में रखने से मना किया जाता है, क्यों?
शास्त्रों के अनुसार, यमुना देवी सूर्य देव की पुत्री और यमराज की बहन हैं. भाई दूज के दिन यमराज स्वयं यमुनाजी के घर जाते हैं और आशीर्वाद देते हैं कि यमुना जल से स्नान करने वाले भाई की अकाल मृत्यु नहीं होगी.
लेकिन चूंकि यमुना जी का संबंध यमराज यानी मृत्यु के देवता से है, इसलिए यह माना जाता है कि यमुना जल को घर में रखना नकारात्मक ऊर्जा, रोग और कलह को आमंत्रित कर सकता है.
गरुड़ पुराण और वास्तु शास्त्र के अनुसार, यमुना जल का उपयोग केवल स्नान, व्रत और तर्पण जैसे धार्मिक कर्मों तक सीमित रहना चाहिए. इसका घर में स्थायी रूप से संग्रह करना शुभ नहीं माना गया है.
यमुना जल मोक्षदायिनी है, लेकिन उसका प्रभाव बहुत शक्तिशाली माना गया है. इसलिए धर्म में यह व्यवस्था है कि यमुना जल को सम्मान दें, लेकिन घर से दूर रखें.
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