धराली आपदा: वाडिया रिपोर्ट में छिपे चेतावनी संकेत, क्या हिमालय दे रहा है अलार्म?


 धराली त्रासदी और वाडिया रिपोर्ट

उत्तराखंड के धराली गांव में 5 अगस्त 2025 को बादल फटने या ग्लेशियर झील के फटने से आई बाढ़ ने एक बार फिर हिमालयी खतरे की घंटी बजा दी है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) की रिपोर्ट के अनुसार, यह आपदा ग्लोबल वार्मिंग, अवैध निर्माण और पारिस्थितिक असंतुलन का परिणाम हो सकती है। संस्थान के अनुसार, धराली में 4 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोग लापता हैं।

पिछली आपदाओं से मिलते संकेत
WIHG की रिपोर्टों में केदारनाथ (2013), चमोली (2021), उत्तरकाशी (2013), जोशीमठ (2023) और अब धराली (2025) जैसी आपदाओं में जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप को मुख्य कारण बताया गया है। चट्टान-बर्फ भूस्खलन, ग्लेशियर झीलों का टूटना और जंगलों की कटाई ने जमीन को अस्थिर कर दिया है।

मानव गतिविधियां बनीं कारण
पर्यटन, जनसंख्या वृद्धि और अवैध निर्माण से पारिस्थितिकी तंत्र कमजोर हुआ है। WIHG के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे नदियों का जलस्तर अनियंत्रित हो रहा है।

सरकारी प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राहत कार्य तेज कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है कि हम पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ