मोनिका सेलेस: टेनिस की दुनिया की सबसे दुखद घटना


 

उभरती स्टार

1990 के दशक की शुरुआत में मोनिका सेलेस महिला टेनिस की सबसे बड़ी स्टार बनकर उभरीं। 16 साल की उम्र में उन्होंने फ्रेंच ओपन जीतकर सबको चौंकाया और 1990 से 1993 के बीच आठ ग्रैंडस्लैम अपने नाम किए। उनकी आक्रामकता और मानसिक मजबूती ने उन्हें स्टेफी ग्राफ से भी आगे नंबर-1 बना दिया।

हमला जिसने सब बदल दिया

30 अप्रैल 1993 को जर्मनी के हैम्बर्ग में क्वार्टर फाइनल मैच के दौरान एक दर्शक, ग्युन्टर पार्चे, ने उनकी पीठ पर चाकू से हमला कर दिया। पार्चे स्टेफी ग्राफ का कट्टर प्रशंसक था और चाहता था कि सेलेस लंबे समय तक खेल से दूर रहें। इस घटना ने टेनिस जगत को हिला दिया।

करियर पर असर

हमले के बाद सेलेस दो साल तक कोर्ट से दूर रहीं। 1995 में वापसी पर उन्होंने 1996 का ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता, लेकिन मानसिक आघात और शारीरिक चोटों के कारण वह पुराना आत्मविश्वास नहीं लौटा पाईं। इसी दौरान ग्राफ ने कई ग्रैंडस्लैम जीतकर इतिहास रचा।

अधूरी महानता

अगर यह हमला न हुआ होता, तो सेलेस शायद सेरेना विलियम्स और ग्राफ जैसी महान खिलाड़ियों के समकक्ष खड़ी होतीं। महज तीन साल में आठ ग्रैंडस्लैम जीतना उनकी असाधारण प्रतिभा का प्रमाण है। यही कारण है कि उनका करियर आज भी टेनिस की सबसे दुखद कहानियों में गिना जाता है।

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