जगदीप धनखड़ से अलग राह
भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। जहां पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुखर और आक्रामक शैली के लिए जाने जाते थे, वहीं राधाकृष्णन सौम्य और समावेशी छवि वाले नेता हैं।
पृष्ठभूमि और राजनीतिक संदेश
साल 2022 में जब धनखड़ को उम्मीदवार बनाया गया था, तब जाट आंदोलन को शांत करने की आवश्यकता थी। धनखड़ उस समय भाजपा के लिए बाहरी चेहरे थे, जिन्होंने कांग्रेस से भी राजनीतिक सफर किया था। इसके विपरीत, राधाकृष्णन किशोरावस्था से ही संघ से जुड़े हैं और विचारधारा के प्रखर समर्थक माने जाते हैं।
दक्षिण भारत पर फोकस
राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं और ओबीसी वर्ग से आते हैं। यह भाजपा की दक्षिण भारत और खासकर ओबीसी सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति को मजबूत करता है। करीब डेढ़ साल बाद तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में उनका चयन भाजपा के लिए राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
संतुलन और समावेशिता
धनखड़ की उग्र शैली के उलट राधाकृष्णन शांत और संवैधानिक भूमिका निभाने में सक्षम माने जाते हैं। विपक्ष भी उनके नाम का कड़ा विरोध नहीं कर पाएगा। यही कारण है कि भाजपा ने उन्हें राज्यसभा के उच्च सदन में संतुलन लाने के लिए चुना है।
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