एक माँ के लिए बच्चों को संस्कारों में पल्लवित, पोषित और विकसित होता हुआ देखना गर्व ही नहीं ईश्वरीय आनंद की अनुभूति करना जैसा है. बेटा जब यूपीएससी के प्रिलिम्स परीक्षा को पास कर चुका हो और रोज की तरह फोन पर माँ से पूछता हो कि आज दोपहर में क्या खाना बनेगा ? ऐसे में ईश्वर द्वारा अंचल में दुनिया-जहान का सुख, संतोष और खुशी डालने का भाव एक माँ के चेहरे पर दिख रहा था.
'व्यक्तिगत विकास दूसरों की सहायता के बिना संभव नहीं है' विषय पर शिक्षाविद डॉ. रचना अवस्थी का दर्शन
स्थान : परितोष इंटर कॉलेज (नौबस्ता). घड़ी की सुई दोपहर के 1:45 बजा रही थी. प्रिंसिपल कक्ष में शिक्षाविद डॉ. रचना अवस्थी के समक्ष हार्टफुलनेस निबंध कार्यक्रम 2025, जिसका विषय हैं 'व्यक्तिगत विकास दूसरों की सहायता के बिना संभव नहीं है' रखा गया. मानव जाति के क्रमिक विकास में हार्टफुलनेस के प्रयासों की प्रशंसा के शब्दों के साथ डॉ. अवस्थी कहती हैं कि बढ़ती इच्छाओं की पूर्ति के लिए मनुष्य मशीन बनता जा रहा है.
ओवर टाइम करने की बजाय हम खर्चे कम कर लें तो घर परिवार के लिए समय निकल आएगा
पैरों की चप्पल की जरूरत नहीं, मैचिंग की चप्पल होने, पहनने के लिए कपड़ों नहीं, अलमारी में संग्रह से मुश्किल बढ़ रही है. ख़र्च बढ़ रहे हैं. माता-पिता के पास बच्चों के लिए समय नहीं है. ओवर टाइम करने की बजाय हम खर्चे कम कर लें तो घर परिवार के लिए समय निकल आएगा.
मोबाइल का दुरूपयोग हो रहा है, यह बीमारी है-बच्चों को अगर भविष्य बनाना है तो मोबाइल से दूरी बना लें
भले चाहे इनकम शून्य हो लेकिन घर में जितने प्राणि हैं, सबके पास मोबाइल है. यह चलन बीमारी है. ऐसे में बच्चों का कैसे विकास होगा. हमारे यहां मोबाइल पर होमवर्क नहीं भेजा जाता. 'परितोष' को मोबाइल फ्री स्कूल कह सकते हैं. मैं खुद सोशल मीडिया पर नजर रखती हूं. स्कूल का कोई भी बच्चा अगर इंस्टाग्राम आदि पर मिलता है तो मैं अपने ऑफिस बुलाती हूं. अपने सिर के ऊपर छात्र का हाथ रखकर शपथ दिलाती हूं. अगर बच्चों से जुड़ाव बनाकर रखें तो उनमें परिवर्तन आता है.
व्यक्तिगत विकास में प्रबुद्धजीवियों की रही अहम भूमिका, ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हूं.
एचबीटीयू में फिजिक्स के मनीषी और अन्य प्रबुद्धजीवियों की संगत ने बहुत सिखाया है. व्यक्तिगत विकास में आप सभी की अहम भूमिका भी रही. आज बहुत खुशी होती है कि यूपीएससी के परिलिम्स परीक्षा पास कर चुका बेटा 'परितोष' रोज की तरह फोन पर मुझसे पूछता है कि आज दोपहर में क्या खाना बनेगा ? ऐसे में ईश्वर के प्रति सिर्फ कृतज्ञता ही व्यक्त कर सकती हूं.
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