क्या पीरियड्स में जन्माष्टमी पर व्रत और पूजा संभव है? जानिए शास्त्रों और ज्योतिषाचार्य का नजरिया


देशभर में दो दिन बाद, यानी 16 अगस्त दिन शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. ऐसे में एक सवाल अक्सर महिलाओं के मन में उठता है. अगर इस पावन दिन पर पीरियड्स आ जाएं, तो क्या व्रत रखना और पूजा करना उचित है?

इस विषय पर ज्योतिषाचार्य मोहन स्वरूप स्पष्ट करते हैं कि ईश्वर भावना और श्रद्धा को देखते हैं, न कि शरीर की स्थितियों को. अगर किसी महिला को व्रत के दौरान मासिक धर्म शुरू हो जाता है, तो उसे व्रत तोड़ने की आवश्यकता नहीं है. वह व्रत जारी रख सकती हैं, बस मूर्ति को स्पर्श करने से परहेज़ करें.

शास्त्रों के अनुसार, इस दौरान मानसिक पूजा, मंत्र-जप, भगवान के नाम का स्मरण, भजन-कीर्तन और कथा-श्रवण पूरी तरह से मान्य है. यह पूजा की उस उच्च अवस्था को दर्शाता है, जहां मन और आत्मा सीधे ईश्वर से जुड़ते हैं.

कुछ आधुनिक विद्वान मानते हैं कि अगर महिला स्वयं को स्वस्थ और सक्षम महसूस करती हैं तथा स्वच्छता का पालन करती हैं, तो मानसिक पूजा करना पूर्णतः उचित है.

कुल मिलाकर, पीरियड्स के दौरान शारीरिक पूजा से दूरी बनाते हुए भी कृष्ण भक्ति में डूबा जा सकता है. याद रखिए यह पर्व हमारे बाल गोपाल के जन्म का है, और उनके आगमन से हर चीज़ शुद्ध हो जाती है. इसलिए श्रद्धा से की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती.

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