दवा खाते तो हैं लेकिन असर नहीं करती, ऐसा क्यों?

क्या आपने भी नोटिस किया है कि अब मामूली बुखार भी हफ्तों तक ठीक नहीं होता? जो दवा दो साल पहले असरदार थी, आज बेअसर लगती है.

AIIMS भोपाल की नई रिपोर्ट ने मेडिकल साइंस को चौंका दिया है. जनवरी से जून 2025 तक के आंकड़ों में साफ हुआ है कि कई “strong antibiotics” अब बैक्टीरिया पर असर नहीं कर रही हैं. जैसे कि Meropenem, जो पहले Klebsiella pneumoniae नाम के खतरनाक बैक्टीरिया पर कारगर थी, अब सिर्फ 52% मामलों में ही काम कर रही है.

लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है?

कारण है – एंटीबायोटिक दवाओं का गलत और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल.
बुखार या खांसी में हम खुद ही दवा ले लेते हैं, बिना डॉक्टर से पूछे. आधा-अधूरा कोर्स, गलत टाइम पर दवा  ये सब बैक्टीरिया को मजबूत बना रहे हैं.

ICMR और AIIMS की स्टडी बताती है कि देश के बड़े अस्पतालों में भी बिना माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्ट के एंटीबायोटिक दी जा रही हैं.

लेकिन अच्छी खबर ये है – कुछ दवाएं अब भी असरदार हैं, जैसे कि Nitrofurantoin, Fosfomycin, और ICU में दी जाने वाली Amikacin.

समाधान?
हर बुखार में एंटीबायोटिक न लें. Culture और Sensitivity टेस्ट के बाद ही दवा लें.

याद रखें – एंटीबायोटिक है इलाज, लेकिन तभी जब सही समय और तरीके से दी जाए.

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