भारतीय क्रिकेट में फिटनेस को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। बीसीसीआई ने तेज गेंदबाजों के लिए ब्रोंको टेस्ट को अनिवार्य बना दिया है। यह टेस्ट खिलाड़ियों की रनिंग स्टैमिना और एरोबिक क्षमता पर फोकस करता है।
क्या है ब्रोंको टेस्ट?
रग्बी से लिया गया यह टेस्ट खिलाड़ियों को लगातार दौड़ने की क्षमता मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें 20, 40 और 60 मीटर की शटल रन लगातार पांच सेट (कुल 1200 मीटर) में पूरी करनी होती है। समय सीमा अधिकतम 6 मिनट तय है।
क्यों लाया गया यह टेस्ट?
हाल में भारतीय तेज गेंदबाजों की फिटनेस चिंता का विषय रही है। कई गेंदबाज चोटिल रहे, जबकि लंबे स्पेल में उनकी गति भी प्रभावित हुई। कोच एड्रियन ले रूक्स का मानना है कि गेंदबाजी केवल ताकत नहीं बल्कि स्टैमिना और एंड्योरेंस पर निर्भर है।
यो-यो और टाइम-ट्रायल से फर्क
अब तक यो-यो टेस्ट और 2 किमी टाइम-ट्रायल फिटनेस मानक थे। लेकिन जहां यो-यो टेस्ट स्प्रिंट फिटनेस मापता है, वहीं ब्रोंको टेस्ट लंबी दूरी तक रनिंग क्षमता और रिकवरी पर जोर देता है।
आगे की रणनीति
ब्रोंको टेस्ट से तेज गेंदबाजों को लंबी सीरीज और पारी दर पारी अपनी गति बनाए रखने में मदद मिलेगी। यह बदलाव भारतीय क्रिकेट में फिटनेस का नया मानक स्थापित करेगा।
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