5G स्पेक्ट्रम के डायरेक्ट आवंटन पर टेलीकॉम कंपनियों का विरोध, बताया नुकसानदायक कदम


 भारत में प्राइवेट 5G नेटवर्क के लिए डायरेक्ट स्पेक्ट्रम आवंटन का प्रस्ताव टेलीकॉम कंपनियों को रास नहीं आ रहा है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI), जिसमें रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं, ने कहा कि यह कदम न तो आर्थिक रूप से लाभकारी होगा और न ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सुरक्षित।

COAI का मानना है कि एंटरप्राइज 5G जरूरतों को केवल लाइसेंस प्राप्त टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSPs) के जरिए ही पूरा किया जाना चाहिए। स्पेक्ट्रम लीजिंग और नेटवर्क स्लाइसिंग जैसे विकल्प पहले से मौजूद हैं, जो सुरक्षा, राजस्व और रेगुलेटरी संतुलन बनाए रखते हैं।

एसोसिएशन ने चेताया कि डायरेक्ट स्पेक्ट्रम आवंटन से कंपनियों पर भारी पूंजीगत और संचालन लागत का बोझ पड़ेगा, जबकि अधिकतर के पास टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर संभालने की विशेषज्ञता नहीं है। साथ ही, बिना लाइसेंस या विदेशी संचालित नेटवर्क साइबर और राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम बढ़ा सकते हैं।

COAI ने कहा कि 2022 की स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार को 1.5 लाख करोड़ रुपये मिले थे। डायरेक्ट आवंटन से सरकारी राजस्व घटेगा और असमान प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इस मुद्दे पर जारी बहस भारत में 5G रेगुलेशन, सुरक्षा और मार्केट संतुलन के भविष्य को तय करेगी।

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