कठिन प्रशिक्षण और तैयारी
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन से पहले कई महीनों का कठिन प्रशिक्षण लिया। इसमें कृत्रिम वातावरण में जीवन रक्षा, फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की क्लासेस और टीम भावना विकसित करने के लिए मैक्सिको में कायकिंग जैसी गतिविधियां शामिल थीं।
अंतरिक्ष यात्रा और अनुभव
25 जून 2025 को अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से ड्रैगन अंतरिक्षयान लॉन्च हुआ, जिसमें शुक्ला और तीन अन्य यात्री सवार थे। उन्होंने बताया कि लॉन्च के दौरान शरीर की हर हड्डी हिल जाती है और कुछ ही मिनटों में गति 28,500 किमी/घंटा तक पहुंच जाती है। मिशन के 20 दिनों में उन्होंने भारत की ओर से सात माइक्रोग्रैविटी प्रयोग किए।
अंतरिक्ष स्टेशन की चुनौतियां
शुक्ला ने बताया कि आईएसएस पर रहना नए घर जैसा होता है, जहां हर चीज़ के अपने नियम हैं। सबसे कठिन काम अंतरिक्ष में वॉशरूम इस्तेमाल करना होता है। मिशन पायलट के तौर पर उन्हें कैप्सूल और डिस्प्ले सिस्टम से लगातार इंटरैक्ट करना पड़ा।
प्रेरणा और टीम वर्क
राकेश शर्मा की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए शुक्ला आज बच्चों को ऑटोग्राफ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में सबसे जरूरी है टीम प्लेयर बनना, क्योंकि वहां कोई अकेले कामयाब नहीं हो सकता।
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