तिथि और समय
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पिठोरी अमावस्या कहते हैं। वर्ष 2025 में यह तिथि 22 अगस्त को पड़ रही है। वैदिक पंचांग के अनुसार यह अमावस्या मध्यकाल में लगेगी, इसलिए इस दिन पिठोरी अमावस्या का पालन मान्य रहेगा।
महत्व
हिंदू धर्म में पिठोरी अमावस्या का विशेष महत्व है। इसे कई क्षेत्रों में कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन दान-स्नान, पितरों का श्राद्ध-तर्पण और पूजा-पाठ करने से सुख-समृद्धि और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस व्रत से बलशाली और बुद्धिमान संतान की प्राप्ति होती है।
विशेष उपाय
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पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा में स्नान करें। संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं।
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सफेद वस्त्र पहनकर पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें।
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ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान दें।
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भगवान शिव की पूजा करें और मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्रार्थना करें।
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पेड़ के नीचे दीपक जलाकर परिक्रमा करें।
पौराणिक कथा
मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान इंद्र की पत्नी को इस व्रत की कथा सुनाई थी, जिससे उन्हें संतान सुख और जीवन में शांति प्राप्त हुई।
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