रक्षाबंधन एक राखी, एक वादा और उससे जुड़ी हजारों भावनाएं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये त्योहार हर साल सावन की पूर्णिमा को ही क्यों मनाया जाता है.
श्रावण पूर्णिमा हिंदू पंचांग का बेहद शुभ दिन माना गया है. चंद्रमा उस दिन अपनी पूर्णता पर होता है, जो मन की स्थिरता और भावनाओं की गहराई का प्रतीक है.
शास्त्रों के अनुसार, प्राचीन काल में ऋषि-मुनि यज्ञों की रक्षा के लिए राजाओं को रक्षा सूत्र बांधते थे. वहीं से शुरू हुई 'रक्षाबंधन' की परंपरा.
कहानी सिर्फ एक धागे की नहीं है-
1. इंद्राणी ने युद्ध में इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा,
2. द्रौपदी ने कृष्ण का घाव बाँधा,
3. और यमुनाजी ने यमराज को राखी बाँध अमरता का वरदान पाया.
4. हर कथा में समर्पण, रक्षा और प्रेम का संदेश है.
रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन का त्यौहार नहीं, यह हमारी संस्कृति का वो एहसास है जो हर धड़कन में रक्षा और प्रेम का वादा करता है.
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