गुरुग्राम के शिव नाडर स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र प्रणेत खेतान ने एक क्रांतिकारी AI डिवाइस 'Paraspeak' विकसित की है, जो लकवे (पैरालिसिस) से प्रभावित मरीजों की अस्पष्ट आवाज को स्पष्ट रूप में ट्रांसलेट करती है। यह विचार उन्हें एक फील्ड ट्रिप के दौरान आया, जब उन्होंने देखा कि पैरालिसिस सेंटर के मरीज अपने विचार दूसरों तक नहीं पहुंचा पा रहे थे।
हिंदी में पहला डिसअर्थ्रिया ASR फ्रेमवर्क
Paraspeak भारत का पहला ओपन-सोर्स ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन (ASR) सिस्टम है जो हिंदी में डिसअर्थ्रिया से प्रभावित भाषण को पहचानता है। डिसअर्थ्रिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज का मस्तिष्क तो ठीक होता है, लेकिन बोलने की मांसपेशियां काम नहीं करतीं। हिंदी में इस तरह का कोई डेटा नहीं था, इसलिए प्रणेत ने 28 मरीजों से 42 मिनट की रिकॉर्डिंग कर पहला डेटासेट बनाया और डेटा ऑगमेंटेशन से उसे 20 घंटे तक बढ़ाया।
कैसे काम करता है Paraspeak?
ट्रांसफॉर्मर तकनीक पर आधारित यह डिवाइस मरीज की आवाज को रिकॉर्ड करता है, फिर क्लाउड में प्रोसेस कर उसे स्पष्ट आवाज में बदलता है। इसका आकार वेबकैम जितना छोटा है और गले में पहनकर प्रयोग किया जा सकता है।
किफायती और प्रभावी
Paraspeak की लागत मात्र ₹2,000 है और ₹200 मासिक इंटरनेट शुल्क में यह चलाया जा सकता है। प्रणेत ने खुद इसके सर्किट बोर्ड डिजाइन किए हैं, जिससे यह डिवाइस सस्ता, छोटा और अत्यंत प्रभावी बन पाया है।
0 टिप्पणियाँ