Kargil Vijay Diwas 2025: 84 दिनों की वीरगाथा, जब भारत ने दुश्मन को दी करारी शिकस्त


 शुरुआत: 3 मई 1999 – घुसपैठ का खुलासा

कारगिल युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को हुई, जब स्थानीय चरवाहों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों की सूचना भारतीय सेना को दी। ये घुसपैठिये आतंकियों की शक्ल में पाकिस्तानी सैनिक थे, जिनका मकसद लेह-श्रीनगर हाईवे पर कब्जा कर भारत को रणनीतिक तौर पर काटना था।

संघर्ष की शुरुआत और जवाबी कार्रवाई
5 मई को भारतीय पेट्रोलिंग टीम पर हमला हुआ, जिसमें पांच जवान शहीद हुए। 9 मई को पाकिस्तानी सेना ने भारत के गोला-बारूद डिपो को निशाना बनाया। 10 मई को द्रास, काकसर और बटालिक सेक्टरों में भारी घुसपैठ की पुष्टि हुई।

भारतीय सेना का पलटवार
26 मई को भारतीय वायुसेना ने हमले शुरू किए। 27 मई को दो फाइटर जेट गिराए गए और फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता युद्धबंदी बने, वहीं स्क्वॉड्रन लीडर अजय अहूजा शहीद हुए।

फतह की ओर कदम
4 जुलाई को टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया गया। 5 और 7 जुलाई को द्रास और जुबर टॉप पर कब्जा हुआ। 7 जुलाई को कैप्टन विक्रम बत्रा ने सर्वोच्च बलिदान दिया।

विजय: 26 जुलाई 1999
84 दिन चले इस संघर्ष का अंत भारत की ऐतिहासिक जीत के साथ हुआ। 26 जुलाई को "कारगिल विजय दिवस" के रूप में याद किया जाता है।

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