ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर को वीडियोकॉन ग्रुप को 300 करोड़ रुपये का लोन मंजूर करने के बदले 64 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का दोषी पाया गया है। अपीलीय ट्रिब्यूनल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि यह मामला ‘क्विड प्रो क्वो’ यानी “कुछ दो, कुछ लो” का स्पष्ट उदाहरण है।
पति दीपक कोचर के जरिए ली गई रिश्वत
3 जुलाई 2025 को आए ट्रिब्यूनल के फैसले में कहा गया कि चंदा कोचर ने अपने पति दीपक कोचर के माध्यम से यह रिश्वत ली। जैसे ही 27 अगस्त 2009 को वीडियोकॉन को लोन के 300 करोड़ रुपये मिले, अगले ही दिन वीडियोकॉन की कंपनी SEPL ने दीपक कोचर की फर्म न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) को 64 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।
बैंक को हुआ भारी नुकसान
ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट किया कि NRPL का नियंत्रण दीपक कोचर के पास था और यह रिश्वत के तौर पर दिया गया पैसा था। चंदा कोचर की इस धोखाधड़ी से ICICI बैंक को नुकसान हुआ, क्योंकि लोन बाद में NPA (डूबत कर्ज) बन गया। ट्रिब्यूनल ने 78 करोड़ की संपत्ति को रिलीज करने के 2020 के आदेश को भी गलत बताया और ED की कार्रवाई को उचित ठहराया।
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