सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग की सही उम्र और टेस्ट से जुड़ी जरूरी जानकारी


भारतीय महिलाएं अक्सर परिवार की जिम्मेदारियों में खुद की सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं। यही कारण है कि सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पता देर से चलता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी स्क्रीनिंग की सही उम्र 30 वर्ष से शुरू होती है।

एम्स दिल्ली के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक शंकर के अनुसार, 30 की उम्र के बाद हर 5 साल में एक बार एचपीवी डीएनए टेस्ट कराना पर्याप्त होता है। यह टेस्ट कैंसर के खतरे की शुरुआती पहचान करने के साथ-साथ एचपीवी वायरस के संक्रमण को भी पकड़ लेता है।

यह टेस्ट पैप स्मीयर टेस्ट से अधिक सटीक (लगभग 95%) और कारगर माना जाता है। इसमें गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) से सैंपल लिया जाता है और महिलाएं चाहें तो यह सैंपल खुद भी दे सकती हैं।

एम्स की डॉ. सुमन भास्कर बताती हैं कि भारत में हर साल करीब 75,000 महिलाएं इस बीमारी से जान गंवाती हैं। 70-80% मामलों में कैंसर आखिरी स्टेज में पकड़ में आता है। यदि समय रहते जांच हो, तो सिर्फ सर्जरी या रेडिएशन से इसका इलाज संभव है।

नियमित स्क्रीनिंग से जान बच सकती है।

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